अर्ध-उकड़ू योगासन : मजबूत और स्वस्थ घुटनों के लिए करें ये मूवमेंट, सावधानी भी जरूरी

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। घंटों घुटने को मोड़कर बैठना पड़ता है और रोजाना के दर्द को बर्दाश्त करना अब आपके लिए मुश्किल होता जा रहा है, तो अर्ध-उकड़ू योगासन या 'नी मूवमेंट' आपके ही लिए है। यह सरल आसन घुटनों को न केवल मजबूत बल्कि स्वस्थ भी रखता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने अर्ध-उकड़ू योगासन को घुटनों और कूल्हों की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बताया है। यह योगासन, जिसे ‘नी मूवमेंट’ के नाम से भी जाना जाता है, शरीर के निचले हिस्से की ताकत और गतिशीलता बढ़ाने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से घुटनों और कूल्हों के जोड़ मजबूत होते हैं, लचीलापन बढ़ता है, और मांसपेशियों का समन्वय बेहतर होता है।
अर्ध-उकड़ू योगासन करना आसान है और इसे घर पर भी किया जा सकता है। सबसे पहले, सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैरों को कूल्हे की चौड़ाई के बराबर रखें। अब धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए उकड़ू (स्क्वाट) की स्थिति में आए, लेकिन पूरी तरह नीचे न बैठें। अपने घुटनों को आधा मोड़ें और रीढ़ को सीधा रखें। हाथों को कमर पर या सामने जोड़कर रख सकते हैं। इस स्थिति में 10-15 सेकंड तक रुकें, सांस को सामान्य रखते हुए। फिर धीरे-धीरे वापस खड़े हो जाएं। यह हॉफ स्क्वाट की तरह है। इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं। शुरुआती स्तर पर इसे कम दोहराव के साथ शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं।
यह योगासन घुटनों और कूल्हों के जोड़ों को मजबूत करता है, जिससे दैनिक गतिविधियों में आसानी होती है। यह लचीलापन बढ़ाता है, जो उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों की जकड़न को कम करने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से जोड़ों का दर्द कम हो सकता है और उनकी कार्यक्षमता में सुधार होता है। यह उन लोगों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है जो लंबे समय तक बैठे रहते हैं या जिन्हें हल्का जोड़ों का दर्द रहता है।
यह मूवमेंट बेहद फायदेमंद है। हालांकि, इसका अभ्यास करने से पहले कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। मंत्रालय के अनुसार, इसे सावधानी के साथ करना चाहिए, खासकर अगर आपको गठिया की समस्या है तो इसे करने से बचें। अर्ध-उकड़ू योगासन करते समय सांस पर ध्यान देना जरूरी है। सांस को सामान्य और गहरी रखें। अगर आपको गठिया, घुटनों में गंभीर दर्द, या कोई अन्य जोड़ों की समस्या है, तो इसे करने से पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से सलाह लें। इसे धीरे-धीरे और सही तरीके से करें, ताकि जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
--आईएएनएस
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