युगांडा में धर्म परिवर्तन के कारण पिता ने बेटी को जिंदा जलाया

युगांडा में एक पिता ने अपनी बेटी को जिंदा जलाने की घटना को अंजाम दिया, जब उसने इस्लाम छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने का फैसला किया। यह खौफनाक घटना उस समय हुई जब पिता को बेटी के धर्म परिवर्तन की जानकारी मिली। अस्पताल में भर्ती रहेमा की हालत गंभीर है। जानिए इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और धर्म के नाम पर होने वाली क्रूरता के बारे में।
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युगांडा में धर्म परिवर्तन के कारण पिता ने बेटी को जिंदा जलाया

धर्म के नाम पर हुई क्रूरता

युगांडा में धर्म परिवर्तन के कारण पिता ने बेटी को जिंदा जलाया


धर्म का उद्देश्य लोगों को एकजुट करना और मानसिक शांति प्रदान करना है। धार्मिक ग्रंथों में जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणादायक बातें होती हैं। लेकिन, कुछ लोग धर्म का गलत अर्थ निकालते हैं। युगांडा में एक ऐसा ही भयानक मामला सामने आया है, जहां एक पिता ने अपनी बेटी को जिंदा जला दिया। यह घटना तब हुई जब बेटी ने इस्लाम छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाने का निर्णय लिया। पिता ने उस पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी, जिससे उसकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई।


यह घटना युगांडा की है, जहां 24 वर्षीय रहेमा क्योमुहेंदो को गंभीर जलन के कारण एम्बेल रीजनल रेफेरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।


रहेमा के पेट, पैर, गले और पीठ पर गंभीर जलन के निशान थे। उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उसका इलाज अगले एक महीने तक जारी रहेगा।


जब वह अस्पताल पहुंची, तो उसकी हालत बहुत खराब थी। होश में आने पर उसने अपने पिता की क्रूरता के बारे में बताया। उसने कहा कि उसके पिता ने ही उस पर पेट्रोल डालकर आग लगाई थी।


रहेमा ने इस्लाम धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था, जबकि युगांडा में 84 प्रतिशत लोग ईसाई हैं।


जब उसके पिता को पता चला कि उसकी बेटी ने इस्लाम छोड़ दिया है, तो उसने घर में रखे पेट्रोल को उस पर डालकर आग लगा दी।


रहेमा का पिता एक इस्लामिक धर्मगुरु है। वह कुछ समय से अपनी आंटी के घर रह रही थी, जहां उसने रेडियो पर ईसाई धर्म के बारे में सुना। इस दौरान उसके मन में इस धर्म के प्रति रुचि बढ़ गई।


उसने अपने पिता के एक पादरी मित्र से संपर्क किया और धर्म परिवर्तन करवा लिया। जब उसके पिता को इस बारे में पता चला, तो उसने पहले उसे पीटा और फिर रमजान के ग्यारहवें दिन आग लगाकर उसे मारने की कोशिश की। युगांडा में 84 प्रतिशत लोग ईसाई हैं, जबकि 14 प्रतिशत लोग इस्लाम का पालन करते हैं।