महाभारत के अनुसार पति-पत्नी को एक थाली में भोजन क्यों नहीं करना चाहिए?

महाभारत के रोचक तथ्य
महाभारत के रोचक तथ्य: आपने अक्सर सुना होगा कि पति-पत्नी को एक ही थाली में भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अनुचित माना जाता है और इसके भविष्य में नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
यह बात किसी विद्वान ने यूं ही नहीं कही, बल्कि महाभारत में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को यह सलाह दी थी। विद्वानों के अनुसार, महात्मा भीष्म ने ऐसा क्यों कहा, इसके पीछे कई मत हैं।
महात्मा भीष्म का कथन
महाभारत के अनुसार, पति-पत्नी को एक ही थाली में भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा भोजन विष के समान होता है। महात्मा भीष्म ने इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक कारण बताए हैं। एक कारण यह है कि यदि दो लोग एक थाली में भोजन करते हैं, तो एक व्यक्ति के रोग दूसरे को लगने का खतरा रहता है। आयुर्वेद भी इस सिद्धांत का समर्थन करता है।
पति-पत्नी का प्रेम और परिवार में कलह
महात्मा भीष्म के इस कथन का एक अन्य मनोवैज्ञानिक पहलू भी है। यदि पति-पत्नी एक साथ भोजन करते हैं, तो उनके बीच प्रेम बढ़ सकता है। इस स्थिति में पति अपने अन्य कर्तव्यों को नजरअंदाज कर सकता है, जो परिवार के भरण-पोषण के लिए सही नहीं है।
पत्नी की जिम्मेदारियों का निर्वहन
जब पति-पत्नी के बीच अत्यधिक प्रेम होता है, तो पत्नी परिवार की अन्य जिम्मेदारियों को निभाने में चूक कर सकती है। यह स्थिति परिवार की खुशहाली में बाधा डाल सकती है और अन्य सदस्यों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, महात्मा भीष्म का संदेश है कि पति-पत्नी को अपनी सीमाओं में रहकर आचरण करना चाहिए।