महंगाई में कमी की उम्मीद: एसबीआई की रिपोर्ट से मिली जानकारी
महंगाई में गिरावट की संभावना
भारत में अगले दो महीनों में महंगाई में कमी आने की संभावना जताई जा रही है। एसबीआई रिसर्च की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, सोने को छोड़कर अन्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई शून्य से भी कम रहने की उम्मीद है। अक्टूबर में भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई दर केवल 0.25% रही, जो अब तक का सबसे कम स्तर है। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों और पेय की कीमतों में गिरावट है।
सब्जियों, दालों और मसालों की कीमतों में लगातार कमी आई है। फलों और तेल-घी की महंगाई भी कम हुई है। हालांकि, सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की महंगाई 57.8% तक बढ़ गई। यदि सोने को छोड़ दिया जाए, तो मुख्य CPI -0.57% पर पहुंच गया है, जो नकारात्मक है। अक्टूबर में कोर CPI 4.33% पर स्थिर रहा, जो सितंबर के 4.36% के समान है। लेकिन सोने को हटाने पर कोर CPI घटकर 2.6% रह गया। एसबीआई रिसर्च का कहना है कि हाल में जीएसटी दरों में सुधार ने महंगाई को कम करने में मदद की है। पहले अनुमान था कि महंगाई 65-75 आधार अंक कम होगी, लेकिन वास्तव में यह 85 आधार अंक कम हुई है।
राज्यों में महंगाई के आंकड़े
हालांकि, राज्यों में महंगाई का स्तर समान नहीं है। केरल में सबसे अधिक 8.56% महंगाई दर्ज की गई है, जबकि जम्मू-कश्मीर में 2.95% और कर्नाटक में 2.34% महंगाई रही। 22 में से 12 राज्यों में महंगाई नकारात्मक है। केरल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में महंगाई 3% से कम है। कम महंगाई और वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में 7% से अधिक जीडीपी वृद्धि, दोनों मिलकर दिसंबर में आरबीआई की बैठक के लिए चुनौती बन रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास को बढ़ावा देना और महंगाई को नियंत्रित रखना, इन दोनों के बीच संतुलन बनाना आरबीआई के लिए कठिन होगा।
आरबीआई की चुनौतियाँ
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि नवंबर-दिसंबर की महंगाई, तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े और नई CPI व GDP गणना, सभी भविष्य की नीतियों को प्रभावित करेंगे। आरबीआई ने अक्टूबर में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, जिससे आगे बदलाव की संभावना कम हो गई है। मजबूत विकास और कम महंगाई को देखते हुए, ब्याज दरों में कमी का निर्णय विशेष रूप से दिसंबर में सोच-समझकर लेना होगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाजार में पर्याप्त नकदी और संतुलित लोन उपलब्धता आवश्यक है ताकि ब्याज दरों का प्रभाव सही तरीके से आगे बढ़ सके, क्योंकि भविष्य में लोन की मांग जमा रकम से अधिक हो सकती है। वित्त वर्ष 27 के अधिकांश समय में CPI के कम रहने की उम्मीद है, इसलिए आरबीआई को कम महंगाई और तेज वृद्धि की “दोहरी चुनौती” का सामना करना पड़ेगा। इससे आने वाले महीनों में नीतियों का निर्माण करना कठिन हो सकता है।
