भारत में रूसी सूरजमुखी तेल की बढ़ती मांग और आपूर्ति
रूस का तेल व्यापार भारत में
भारत में रूस के तेल का जलवा!
पिछले चार वर्षों में, रूस ने केवल कच्चे तेल के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सूरजमुखी तेल के व्यापार में भी अपनी स्थिति मजबूत की है। भारत में सूरजमुखी तेल की खपत काफी अधिक है, जबकि स्थानीय उत्पादन बहुत कम है। 2024 में, रूस भारत का सबसे बड़ा सूरजमुखी तेल आपूर्तिकर्ता बन गया, जबकि पहले यह स्थान यूक्रेन के पास था। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस के लिए बंदरगाहों तक आसान पहुंच ने इसे भारत के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बना दिया है।
युद्ध के प्रभाव से सप्लाई चेन में बदलाव
युद्ध ने बदल दी सप्लाई लाइन
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण, यूक्रेन अपनी सूरजमुखी तेल की अधिकांश खेप यूरोप को भेज रहा है। भारत तक पहुंचाने में सड़क और रेल पर निर्भरता बढ़ गई है, जिससे लागत में वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, रूस ने अपनी बड़ी फसल को भारतीय बाजार में भेजकर प्रतिस्पर्धी कीमतें पेश की हैं। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ सनफ्लावर ऑयल के अध्यक्ष संदीप बाजोरिया के अनुसार, भारत ने इस दौरान रूस से 2.09 मिलियन टन तेल आयात किया, जो 2021 की तुलना में लगभग बारह गुना अधिक है।
भारत के लिए सूरजमुखी तेल का महत्व
सूरजमुखी तेल भारत के लिए क्यों जरूरी है
भारत में खाने के तेलों की खपत में सूरजमुखी तेल तीसरे स्थान पर है। पाम ऑयल सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, उसके बाद सोयाबीन तेल और फिर सूरजमुखी तेल आता है। देश में इसका उत्पादन बहुत कम है, लगभग 5% से भी कम। यही कारण है कि आयात पर निर्भरता बढ़ गई है। रूस ने भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतें पेश की हैं। युद्ध से पहले, यूक्रेन भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था, लेकिन अब उसकी अधिकांश फसल यूरोप की ओर जा रही है।
भारत-रूस संबंध और आपूर्ति स्थिरता
भारत-रूस संबंध और आपूर्ति स्थिरता
भारत और रूस ने हाल ही में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए एक-दूसरे के देशों का दौरा किया। SEA के प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर में रूस का दौरा किया, ताकि व्यापारिक संबंधों को और मजबूत किया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में रूस का सूरजमुखी तेल भारत की रसोई में एक विश्वसनीय विकल्प बना रहेगा।
