भारत ने रुपए को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में उठाए कदम
भारत का नया कदम: रुपए को अंतरराष्ट्रीय पहचान
भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर रुपए को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब भारतीय बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका में स्थानीय निवासियों को रुपए में ऋण प्रदान करेंगे। यह पहल रुपए को चीनी युआन और अमेरिकी डॉलर के समकक्ष लाने में सहायक होगी। यदि यह योजना सफल होती है, तो अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई और अफ्रीकी देशों में भी इसे लागू किया जा सकता है।
आरबीआई के नए निर्णय
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में रुपए को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। भारत का यूपीआई प्रणाली कई देशों में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है, जिससे रुपए को नई पहचान मिल रही है। इसके अलावा, आरबीआई जल्द ही डिजिटल रुपए की घोषणा भी कर सकता है।
लोन की नई व्यवस्था
आरबीआई ने बताया है कि भारतीय बैंक अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका में रहने वाले व्यक्तियों और बैंकों को रुपए में ऋण देने के लिए अधिकृत हैं। यह कदम विदेशी विनिमय प्रबंधन नियमों के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य सीमापार व्यापार को सुगम बनाना है।
आरबीआई की नई समयसीमा
आरबीआई ने जनवरी 2025 में भारतीय निर्यातकों को विदेशों में विदेशी मुद्रा खाते खोलने की अनुमति दी थी। पहले, अप्रयुक्त शेष राशि को अगले महीने के अंत तक वापस भेजना अनिवार्य था, लेकिन अब इसे तीन महीने तक बढ़ा दिया गया है।
पॉलिसी मीटिंग में महत्वपूर्ण घोषणाएं
आरबीआई ने 1 अक्टूबर को अपनी पॉलिसी मीटिंग में रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए कई सुधारों की घोषणा की। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह कदम भारतीय रुपए के वैश्विक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
आरबीआई के तीन प्रमुख उपाय
आरबीआई ने भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को व्यापारिक लेनदेन के लिए रुपए में ऋण देने की अनुमति दी है। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की करेंसी के लिए पारदर्शी संदर्भ दरें स्थापित करने की योजना बना रहा है। तीसरा उपाय विशेष रुपया वास्ट्रो खातों में शेष राशि के उपयोग को बढ़ाना है।
अतिरिक्त कदम
आरबीआई ने पहले ही कई कदम उठाए हैं, जैसे कि रुपए में व्यापार सेटलमेंट के लिए द्विपक्षीय समझौते और यूपीआई जैसी भारतीय भुगतान प्रणालियों को प्रोत्साहित करना।