भारत ने नए बाजारों में बढ़ाई निर्यात की ताकत, अमेरिका की टैरिफ नीति का असर कम

भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बावजूद अपने निर्यात को बढ़ाने में सफलता हासिल की है। नए आंकड़ों के अनुसार, भारतीय उत्पादों की मांग यूएई, वियतनाम, बेल्जियम और अन्य देशों में तेजी से बढ़ी है। समुद्री उत्पादों और टेक्सटाइल उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली है। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और भारतीय निर्यातकों की नई रणनीतियों के बारे में।
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भारत ने नए बाजारों में बढ़ाई निर्यात की ताकत, अमेरिका की टैरिफ नीति का असर कम

भारतीय निर्यात में नई दिशा

भारत ने नए बाजारों में बढ़ाई निर्यात की ताकत, अमेरिका की टैरिफ नीति का असर कम

नए बाजारों में बढ़ा निर्यात

कुछ समय पहले, भारतीय निर्यातकों के लिए चिंता का माहौल था, जब अमेरिका ने भारतीय सामान पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। अमेरिका हमेशा से हमारे लिए सबसे बड़ा बाजार रहा है, विशेषकर टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी और समुद्री उत्पादों के क्षेत्र में। इस कदम से इन उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका थी, जिससे लाखों लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा था।

हालांकि, जब एक दरवाजा बंद होता है, तो कई नए दरवाजे खुलते हैं। भारत ने भी इसी तरह की स्थिति का सामना किया है। वाणिज्य मंत्रालय के हालिया आंकड़े बताते हैं कि भारतीय व्यापारियों ने अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करते हुए नए वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। अमेरिका ने भले ही टैरिफ बढ़ाया हो, लेकिन कई अन्य देशों ने भारतीय उत्पादों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।

अमेरिका की ‘ना’ के बाद, अन्य देशों ने कहा ‘हां’

आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अपने निर्यात के लिए अमेरिका पर निर्भर रहने की रणनीति में बदलाव किया है। इसके परिणामस्वरूप, यूएई, वियतनाम, बेल्जियम और सऊदी अरब जैसे देशों में भारतीय उत्पादों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वाणिज्य मंत्रालय के जनवरी से सितंबर 2025 तक के आंकड़े दर्शाते हैं कि एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मांग ने हमारे निर्यात को नई ताकत दी है। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, जो दर्शाता है कि अब हमारा निर्यात किसी एक देश की राजनीतिक या आर्थिक स्थिति पर निर्भर नहीं है।

वियतनाम और बेल्जियम बने नए ग्राहक

समुद्री उत्पादों के क्षेत्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला है। इस साल जनवरी से सितंबर के बीच, भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर, हमने 4.83 अरब डॉलर के समुद्री उत्पाद बेचे हैं।

इस वृद्धि का मुख्य कारण अमेरिका के बजाय अन्य देशों में भारतीय समुद्री खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग है। अमेरिका अब भी हमारा सबसे बड़ा बाजार है, जहां हमने 1.44 अरब डॉलर का निर्यात किया, लेकिन असली कहानी नए बाजारों में लिखी जा रही है।

वियतनाम में हमारे निर्यात में 100.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि बेल्जियम ने 73.0 प्रतिशत और थाईलैंड ने 54.4 प्रतिशत अधिक समुद्री उत्पाद खरीदे हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय झींगे, मछली और अन्य समुद्री उत्पाद अब एशिया और यूरोप के भोजन में अपनी जगह बना रहे हैं। इसके अलावा, चीन में हमारा निर्यात 9.8 प्रतिशत, मलेशिया में 64.2 प्रतिशत और जापान में 10.9 प्रतिशत बढ़ा है।

भारतीय कपड़ों की मांग, पेरू से पोलैंड तक

अब बात करते हैं टेक्सटाइल उद्योग की, जो लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। अमेरिकी टैरिफ का असर इस क्षेत्र पर भी पड़ने की आशंका थी, लेकिन भारतीय निर्यातकों ने नए रास्ते खोज लिए हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के दौरान, भारत के कपड़ा निर्यात में 1.23 प्रतिशत की मामूली लेकिन महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो 28.05 अरब डॉलर तक पहुंच गई है।

इस वृद्धि का श्रेय भी नए और उभरते बाजारों को जाता है। भारतीय कपड़े अब पेरू और नाइजीरिया जैसे देशों में भी अपनी जगह बना रहे हैं। यूएई भारतीय कपड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय केंद्र बन गया है, जहां हमारा निर्यात 8.6 प्रतिशत बढ़कर 136.5 मिलियन डॉलर हो गया है। इसका मतलब है कि यूएई के माध्यम से हमारा माल पूरे पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुंच रहा है।

यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में भी भारतीय कपड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है। नीदरलैंड में 11.8 प्रतिशत, पोलैंड में 24.1 प्रतिशत, स्पेन में 9.1 प्रतिशत और मिस्र में 24.5 प्रतिशत की वृद्धि यह साबित करती है कि भारतीय टेक्सटाइल का जलवा दुनिया भर में कायम है.