भारत को एस-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी का आश्वासन, रूस ने दी जानकारी

रूस ने भारत को एस-400 त्रिउम्फ मिसाइल प्रणाली की शेष दो स्क्वाड्रनों की डिलीवरी 2026-27 तक करने का आश्वासन दिया है। यह एअर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। भारत ने पहले तीन स्क्वाड्रनों को तैनात कर दिया है, और चौथी स्क्वाड्रन अगले वर्ष मिलने की उम्मीद है। इस प्रणाली की रेंज और क्षमताएँ भारत की वायु रक्षा को मजबूत बनाती हैं। जानें इस प्रणाली के बारे में और क्या चर्चा हुई रक्षा मंत्रियों की बैठक में।
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भारत को एस-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी का आश्वासन, रूस ने दी जानकारी

रूस का भारत को एस-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी का आश्वासन

रूस ने भारत को यह भरोसा दिलाया है कि वह सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 त्रिउम्फ मिसाइल प्रणाली की शेष दो स्क्वाड्रनों की आपूर्ति 2026-27 तक करेगा। यह एअर डिफेंस सिस्टम, जो रूस में निर्मित है, ने पिछले महीने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एस-400 की चौथी और पांचवीं स्क्वाड्रनों की डिलीवरी में काफी देरी हो रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रे बेलोउसॉव के बीच द्विपक्षीय बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया गया। 2018 में रूस के साथ हुए 5.43 बिलियन डॉलर (लगभग ₹40,000 करोड़) के अनुबंध के तहत भारत को सभी पांच स्क्वाड्रन 2023 के अंत तक प्राप्त होने थे। हर एस-400 स्क्वाड्रन में दो मिसाइल बैटरियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक में 128 मिसाइलें होती हैं। ये 120, 200, 250 और 380 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकती हैं। इसके साथ लॉन्ग-रेंज रडार और ऑल-टेरेन ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर व्हीकल्स भी होते हैं।




भारतीय वायुसेना (IAF) ने पहले तीन स्क्वाड्रनों को उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में तैनात किया है, ताकि चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटा जा सके। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को रूस के रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि चौथी स्क्वाड्रन अगले वर्ष मिल जाएगी और पांचवीं 2027 में भारत आएगी।


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आपको याद दिला दें कि 7 से 10 मई तक चले सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने आदमपुर एयरबेस पर सफलतापूर्वक बमबारी की और वहां तैनात एक एस-400 बैटरी को नष्ट कर दिया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 मई को उस एयरबेस का दौरा किया और एस-400 सिस्टम के ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर व्हीकल के साथ पृष्ठभूमि में फोटो खिंचवाकर इस दावे को खारिज कर दिया। एस-400 बैटरियाँ 380 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के रणनीतिक बमवर्षकों, जेट विमानों, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को पहचान कर नष्ट कर सकती हैं। यह भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और वायुसेना की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।




इसके अलावा, DRDO भी एक 350 किलोमीटर इंटरसेप्शन रेंज वाली वायु रक्षा प्रणाली 'प्रोजेक्ट कुशा' के तहत विकसित कर रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2023 में IAF के लिए इसकी पांच स्क्वाड्रनों की खरीद के लिए ₹21,700 करोड़ की "आवश्यकता की स्वीकृति" को मंजूरी दी थी। भारत इस प्रणाली को 2028-2029 तक संचालन में लाने की योजना बना रहा है।




भारत-रूस के रक्षा मंत्रियों की बैठक में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य और द्विपक्षीय रक्षा तथा रणनीतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया। राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर इस बातचीत को ज्ञानवर्धक बताया। उन्होंने कहा, 'किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-रूस रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने पर ज्ञानवर्धक विचार-विमर्श किया।' राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद से भारत को चुनौती के मुद्दे पर भी रूसी मंत्री से बात की। माना जा रहा है कि दोनों मंत्रियों ने एक जुलाई को रूस के तटीय शहर कलिनिनग्राद में भारतीय नौसेना की रूस निर्मित गाइडेड मिसाइल पनडुब्बी 'आईएनएस तमाल' के आगामी जलावतरण पर भी चर्चा की। बताया जा रहा है कि जलावतरण समारोह की अध्यक्षता पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल संजय जे सिंह करेंगे।