भारत की समृद्धि का नया मार्ग: ब्लू इकॉनमी की भूमिका
भारत की ब्लू इकॉनमी समुद्र से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों का एक समग्र ढांचा है, जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, यह न केवल संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज को भी सशक्त बनाएगा। जानें कैसे सरकार की पहल और योजनाएं इस दिशा में मदद कर रही हैं और कैसे यह वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को मजबूत कर रही हैं।
Sep 20, 2025, 18:47 IST
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ब्लू इकॉनमी: एक नई आर्थिक दृष्टि

ब्लू इकॉनमी का अर्थ समुद्र से संबंधित संपूर्ण आर्थिक ढांचा है.Image Credit source: फाइल फोटो
भारत जिस विकसित भविष्य की कल्पना कर रहा है, उसका मार्ग ब्लू इकॉनमी से होकर गुजरेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने लेख में बताया कि ब्लू इकॉनमी भारत के हरित विकास की नई नींव है। उनके अनुसार, हमारे पास 11,000 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र और 2.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र है, जो हमें अनगिनत संभावनाएं प्रदान करता है।
ब्लू इकॉनमी का तात्पर्य समुद्र से जुड़े सभी आर्थिक गतिविधियों से है, जिसमें मछली पालन, बंदरगाह, शिपिंग, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा और गहरे समुद्र की खोज शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र भारत को आने वाले वर्षों में समृद्धि और आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
सरकार की पहल और योजनाएं
सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। सागरमाला प्रोग्राम के तहत बंदरगाहों को आधुनिक बनाया जा रहा है, जिससे व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मछली पालन क्षेत्र में ब्लू रिवोल्यूशन को बढ़ावा दे रही है। हरित सागर गाइडलाइंस के माध्यम से बंदरगाहों को ग्रीन बनाने और शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा, मिशन ओशन के तहत गहरे समुद्र की खोज के लिए 6000 सबमर्सिबल तैयार किए गए हैं।
महिलाओं और युवाओं का सशक्तिकरण
डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, ब्लू इकॉनमी केवल संसाधनों के उपयोग की बात नहीं करती, बल्कि यह समाज को भी सशक्त बनाती है। महिलाओं को सीवीड फार्मिंग और इको-टूरिज्म में नए अवसर मिल रहे हैं। युवाओं को मरीन इंजीनियरिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई स्किल्स सिखाई जा रही हैं। स्टार्टअप्स स्मार्ट फिशिंग, ग्रीन पोर्ट लॉजिस्टिक्स और समुद्री जैव प्रौद्योगिकी में नए प्रयोग कर रहे हैं।
वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका
भारत वैश्विक स्तर पर भी इस दिशा में अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है। G20 की अध्यक्षता के दौरान चेन्नई में स्थायी ब्लू इकॉनमी के लिए उच्च स्तरीय सिद्धांतों का शुभारंभ किया गया। भारत ने जैव विविधता समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। फ्रांस में आयोजित UNO Ocean Conference में भारत ने SAHAV Portal की शुरुआत की, जो वैश्विक स्तर पर समन्वय और ज्ञान साझा करने का एक बड़ा मंच बनेगा।
स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में भारत का भविष्य, समृद्धि और हरित विकास सभी कुछ समुद्र से जुड़ा है। जैसा कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है, विकसित भारत का मार्ग यहीं से शुरू होगा।