भारत की HMEL ने रूस से तेल खरीदना किया बंद, जानें इसके पीछे की वजहें
भारत की प्रमुख ऊर्जा कंपनी का बड़ा फैसला
भारतीय कंपनी एचएमईएल ने रूस से कच्चा तेल खरीदने का कार्य रोक दिया है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तेल एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया है, और अब यह भारत-रूस ऊर्जा संबंधों पर भी प्रभाव डालने लगा है। पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। इसी के चलते, भारत की एक प्रमुख ऊर्जा कंपनी ने रूस से कच्चा तेल खरीदने का निर्णय लिया है। इस कंपनी में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) जैसी सरकारी कंपनी की भी भागीदारी है.
रूस से तेल खरीदने का कारण
यह निर्णय एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL) द्वारा लिया गया है, जो मित्तल समूह और सरकारी कंपनी एचपीसीएल का एक संयुक्त उद्यम है। कंपनी ने आधिकारिक रूप से यह घोषणा की है कि वह अब रूस से कच्चे तेल का आयात नहीं करेगी। एचएमईएल पहली भारतीय कंपनी है जिसने हाल में अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते रूस के प्रमुख तेल उत्पादकों से तेल खरीदना बंद किया है.
कंपनी का कहना है कि यह निर्णय अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन द्वारा रूस से तेल आयात पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए लिया गया है। यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसके बाद चीन की कई कंपनियों ने भी रूसी तेल से दूरी बना ली थी।
तेल की आपूर्ति की प्रक्रिया
पंजाब के बठिंडा में स्थित एचएमईएल की रिफाइनरी ने अब तक रूस से तेल की खरीद ‘आपूर्ति के आधार’ पर की थी। इसका मतलब है कि तेल को रूस से भारत लाने की सभी जिम्मेदारियां आपूर्तिकर्ता की होती थीं। जहाज का प्रबंध, बीमा और परिवहन सभी कुछ रूसी पक्ष द्वारा किया जाता था। एचएमईएल को तेल भारतीय बंदरगाह पर प्राप्त होता था.
कंपनी का कहना है कि इस व्यवस्था के तहत आने वाले जहाज बिना किसी विशेष अनुमति के आते थे। लेकिन अब नए प्रतिबंधों ने इस प्रक्रिया को जोखिम भरा बना दिया है। नए नियम केवल तेल पर ही नहीं, बल्कि उसके परिवहन करने वाले जहाजों, बीमा कंपनियों और वित्तीय लेनदेन पर भी लागू होते हैं.
एचएमईएल ने यह स्पष्ट किया है कि वह हमेशा सरकारी नीतियों और नियमों का पालन करती रही है। कंपनी के अनुसार, उसकी सभी व्यावसायिक गतिविधियां भारत सरकार की ऊर्जा सुरक्षा नीति के अनुरूप हैं। इसका अर्थ यह है कि रूस से तेल खरीदने का यह निर्णय भी सरकारी नीतियों के दायरे में लिया गया है। कंपनी का इरादा है कि अगले आदेश तक यह खरीद बंद रहेगी.
प्रतिबंधित जहाजों का मामला
हालांकि, एचएमईएल का यह निर्णय एक बड़े विवाद के बाद आया है। हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एचएमईएल ने इस वर्ष प्रतिबंधित जहाजों से कच्चे तेल की चार खेपें प्राप्त की थीं, जिनकी कुल कीमत लगभग 28 करोड़ डॉलर थी। यह एक गंभीर आरोप था, जिसका मतलब था कि कंपनी ने अनजाने में प्रतिबंधों का उल्लंघन किया.
इस पर एचएमईएल ने अपनी सफाई पेश की और कहा कि उसने तेल की खरीद ‘आपूर्ति के आधार’ पर की थी। कंपनी का कहना है कि यदि किसी प्रतिबंधित जहाज का उपयोग हुआ है, तो उसकी जिम्मेदारी सप्लायर की है, न कि उनकी.
कंपनी ने तब तक रूस से तेल खरीदा जब तक यह उसके लिए फायदेमंद और सुरक्षित था। लेकिन जैसे ही प्रतिबंधों का दायरा बढ़ा और अंतरराष्ट्रीय निगरानी में वृद्धि हुई, कंपनी ने अपने कदम पीछे खींच लिए.
