भारत का सेमीकंडक्टर मिशन: वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए आत्मनिर्भरता की ओर
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में भारत के सेमीकंडक्टर मिशन और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान चुनौतियों को अवसरों में बदला और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए। सम्मेलन में भारत की आर्थिक मजबूती, 5G रोलआउट, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास पर भी चर्चा की गई। सिंधिया ने भारत की वैश्विक पहचान और भविष्य की आर्थिक प्रगति के लिए स्वदेशी नवाचार के महत्व पर जोर दिया।
Oct 5, 2025, 18:54 IST
|

चौथा कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन: एक नई दिशा
नई दिल्ली। चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने 'Communications: Emerging Technologies' विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने सम्मेलन की थीम 'Seeking Prosperity in Turbulent Times' पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक चुनौतियों को अवसरों में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन: आत्मनिर्भरता की ओर
सिंधिया ने कोविड-19 महामारी के दौरान की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय उद्योग और शिक्षा दोनों ही एक छोटी सी माइक्रोचिप पर निर्भर थे। इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए भारत ने ₹76,000 करोड़ के 'भारत सेमीकंडक्टर मिशन' की शुरुआत की। इस मिशन के तहत विभिन्न राज्यों में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट्स स्थापित की जा रही हैं और 85,000 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक इस क्षेत्र में ₹1.6 लाख करोड़ से अधिक का निवेश हो चुका है, जिससे भारत आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार अर्थव्यवस्था बन रहा है।
आर्थिक मजबूती और वैश्विक नेतृत्व
सिंधिया ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य संघर्ष, संरक्षणवाद, जलवायु संकट और मुद्रास्फीति जैसी चुनौतियों से भरा है, फिर भी भारत ने 7.8% की जीडीपी वृद्धि हासिल की है। भारत अब न्याय और समानता की आवाज के रूप में ग्लोबल साउथ का केंद्र बन चुका है। उन्होंने कहा, 'भारत केवल निवेश का गंतव्य नहीं है, यह विश्व के लिए दिशा, एक दृष्टि और मिशन है जो समृद्धि का मार्ग दिखाता है।'
संचार क्षेत्र: विकास और समावेशन का इंजन
भारत के पास आज 1.22 अरब टेलीफोन ग्राहक और 94.4 करोड़ ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता हैं, जो पिछले दशक में पंद्रह गुना वृद्धि को दर्शाते हैं। भारत ने दुनिया का सबसे तेज 5G रोलआउट किया है, केवल 22 महीनों में 99.8% जिलों को जोड़ा है। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे UPI, अब सालाना 260 अरब से अधिक लेनदेन कर रहा है, जो दुनिया के कुल डिजिटल लेनदेन का 46% है। सिंधिया ने कहा कि भारत ने समावेशन और सशक्तिकरण के माध्यम से नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने का गौरव हासिल किया है।
बीएसएनएल और स्वदेशी 4G स्टैक: आत्मनिर्भरता का प्रतीक
सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत केवल एक दृष्टि नहीं, बल्कि एक मिशन है, जो संकटों को अवसरों में बदलने की क्षमता रखता है। हाल ही में ओडिशा के झारसुगुड़ा में भारत का पहला पूर्णतः स्वदेशी 4G स्टैक लॉन्च किया गया है, जिसे सी-डॉट, टेजस नेटवर्क्स और टीसीएस के सहयोग से विकसित किया गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी और भरूच से अरुणाचल तक 92,564 टावर देश के कोने-कोने में स्थापित किए जा चुके हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): भारत की नवाचार क्रांति
सिंधिया ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भविष्य की संचार क्रांति है। 'इंडिया एआई मिशन' के तहत भारत कम्प्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, घरेलू एआई मॉडल, और स्टार्टअप्स व अनुसंधान संस्थानों को सशक्त बना रहा है। निजी क्षेत्र ने अब तक ₹20,000 करोड़ मूल्य के 38,000 GPUs स्थापित किए हैं, और कुल निवेश $10 बिलियन से अधिक होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि एआई को भारतीय भाषाओं और भारतीय जरूरतों के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिए।
ज्ञान, नवाचार और धैर्य की विरासत
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संबोधन में भारत की अद्भुत उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज भारत फिनटेक, दूरसंचार, अक्षय ऊर्जा, स्टार्टअप और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बना चुका है। भारत आज मोबाइल डेटा उपभोग में प्रथम, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं और मोबाइल फोन निर्माण में द्वितीय, स्टार्टअप्स और वैज्ञानिक प्रतिभा में तृतीय, तथा अक्षय ऊर्जा क्षमता में चतुर्थ स्थान पर है, यह उपलब्धियां हमारे सामूहिक नवाचार, परिश्रम और नीतिगत स्थिरता का प्रमाण हैं।
भारत की आर्थिक प्रगति का मार्ग
सिंधिया ने कहा कि भारत 2027 तक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। यह इस बात का प्रतीक है कि हमारा देश एक साथ बुद्धि और संपदा दोनों का समन्वय कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति का मार्ग स्वदेशी नवाचार, आत्मनिर्भर क्षमताओं और 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना से प्रेरित वैश्विक दृष्टिकोण पर आधारित है।