भारत का टेक्सटाइल सेक्टर: 2025 में वैश्विक पहचान की ओर बढ़ता कदम

वर्ष 2025 भारत के टेक्सटाइल सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। केंद्र सरकार की योजनाओं और सुधारों ने इस क्षेत्र में नई गति प्रदान की है। PM MITRA पार्कों और PLI योजना के माध्यम से निवेश और उत्पादन में वृद्धि हुई है। भारत का टेक्सटाइल निर्यात 37.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे वैश्विक पहचान में मजबूती आई है। जानें कैसे तकनीकी टेक्सटाइल और कौशल विकास ने इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
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भारत का टेक्सटाइल सेक्टर: 2025 में वैश्विक पहचान की ओर बढ़ता कदम

टेक्सटाइल क्षेत्र में विकास

भारत का टेक्सटाइल सेक्टर: 2025 में वैश्विक पहचान की ओर बढ़ता कदम

टेक्सटाइल सेक्टर में ग्रोथ

वर्ष 2025 भारत के टेक्सटाइल उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। केंद्र सरकार और टेक्सटाइल मंत्रालय ने सुधारों, आधुनिक अवसंरचना और निर्यात को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके परिणामस्वरूप, किसानों, कारीगरों, छोटे उद्योगों और बड़े निर्माताओं के बीच विकास की एक मजबूत नींव तैयार हुई, जिससे भारत ने वैश्विक टेक्सटाइल मानचित्र पर अपनी स्थिति को और मजबूत किया।

PM MITRA पार्कों से मिली नई गति

PM मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल योजना ने 2025 में अपने प्रभाव दिखाना शुरू किया। देश के विभिन्न हिस्सों में सात प्रमुख टेक्सटाइल पार्कों का विकास किया गया, जहां अवसंरचना विकास तेजी से हुआ। इन पार्कों के माध्यम से टेक्सटाइल निर्माण को एकत्रित करने का प्रयास किया गया, जिससे लागत में कमी और उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद जगी। इससे लाखों रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होने की संभावना है।

PLI योजना से निवेश और उत्पादन को बढ़ावा

टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए लागू की गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ने भी सकारात्मक परिणाम दिए। कई कंपनियों ने निवेश शुरू किया और उत्पादन में वृद्धि की। विशेष रूप से तकनीकी टेक्सटाइल से संबंधित कंपनियों की भागीदारी अधिक रही, जिससे इस उभरते क्षेत्र को मजबूती मिली। इस योजना ने भारत को उच्च मूल्य वाले टेक्सटाइल उत्पादों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

निर्यात में वृद्धि, भारत की वैश्विक पहचान

2025 में भारत का टेक्सटाइल और परिधान निर्यात लगभग 37.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन जैसे प्रमुख बाजारों के साथ-साथ नए देशों में भी भारतीय उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई। सरकार ने 2030 तक टेक्सटाइल निर्यात को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य दोहराया, जिसमें स्थिरता और नवाचार को महत्वपूर्ण माना गया।

तकनीकी टेक्सटाइल और कौशल विकास पर ध्यान

नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के तहत अनुसंधान, स्टार्टअप और नए उत्पादों को बढ़ावा मिला। इसके साथ ही, कौशल विकास योजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक रही। इससे रोजगार के नए अवसर खुले और क्षेत्र को कुशल कार्यबल मिला।

कपास, रेशम, ऊन और जूट में सुधार

कपास क्षेत्र में किसानों को बेहतर मूल्य, डिजिटल उपकरणों और ब्रांडिंग के माध्यम से समर्थन मिला। रेशम उत्पादन में भारत ने अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखी और ऊन और जूट से जुड़े क्षेत्रों में भी नई पहलों का आगाज़ हुआ। इससे पारंपरिक क्षेत्रों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का प्रयास तेज हुआ।

हैंडलूम और हस्तशिल्प कारीगरों के लिए मार्केटिंग, डिजिटल प्लेटफॉर्म और महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया गया। फैशन शिक्षा के क्षेत्र में भी नए कैंपस और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत की तैयारी और मजबूत हुई है.