भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता: पीएम मोदी की यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा ने भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच एक ऐतिहासिक स्वतंत्र व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता न केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को भी मजबूत करेगा। इस यात्रा के दौरान खालिस्तानी गतिविधियों और आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत भी मिले हैं। जानें इस यात्रा के प्रमुख आयाम और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता: पीएम मोदी की यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा का ऐतिहासिक क्षण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुँची, जब भारत और यूनाइटेड किंगडम (U.K.) के बीच स्वतंत्र व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) पर औपचारिक हस्ताक्षर किए गए। यह उच्चस्तरीय बैठक ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टारमर के साथ चेकर्स एस्टेट में हुई, जिसने दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को नई दिशा दी है और द्विपक्षीय व्यापार, निवेश तथा तकनीकी सहयोग में एक नए युग की शुरुआत की है।


FTA का महत्व और आर्थिक प्रभाव

यह FTA, ब्रिटेन के लिए यूरोपीय संघ से बाहर आने के बाद का सबसे बड़ा और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता माना जा रहा है। भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। ब्रिटिश सरकार के अनुसार, यह समझौता सालाना लगभग 34 अरब डॉलर का अतिरिक्त द्विपक्षीय व्यापार उत्पन्न करेगा। वर्तमान में भारत और ब्रिटेन के बीच लगभग 60 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें भारत को सकारात्मक व्यापार संतुलन प्राप्त है। इस समझौते से 2030 तक यह आंकड़ा दोगुना होने की संभावना है।


दीर्घकालिक रणनीतिक खाका

प्रधानमंत्री मोदी और केयर स्टारमर की यह मुलाकात केवल व्यापार तक सीमित नहीं रही। “U.K.-India Vision 2035” दस्तावेज के उद्घाटन के माध्यम से दोनों देशों ने आने वाले वर्षों के लिए एक दीर्घकालिक रणनीतिक खाका प्रस्तुत किया है, जिसमें तकनीक, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन, निवेश, और प्रवास जैसे मुद्दों पर साझेदारी को गहराने की बात की गई है।


FTA के प्रमुख आयाम और चुनौतियाँ

FTA के प्रमुख आयामों में भारत को ब्रिटेन के वस्त्र, दवा, आईटी, ऑटो पार्ट्स और सेवाओं में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी, जबकि ब्रिटेन के लिए भारतीय शिक्षा, कानूनी सेवाओं और शराब के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे। हालांकि, MSME और कृषि क्षेत्र पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंताएं भी उठ रही हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे "दो विशाल अर्थव्यवस्थाओं के बीच न्यायसंगत और महत्वाकांक्षी व्यापार का नया मानक" बताया है। इस व्यापार समझौते को लागू होने में लगभग एक वर्ष का समय लग सकता है।


वैश्विक व्यापार अस्थिरता के बीच FTA का महत्व

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक व्यापार अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों के चलते वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में भारत-ब्रिटेन FTA न केवल दोनों देशों के लिए आर्थिक संबल का काम करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार सहयोग को एक स्थायी दिशा भी देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते की तारीफ करते हुए कहा, "ये समझौता मात्र आर्थिक साझेदारी नहीं है बल्कि साझा समृद्धि की योजना है।"


भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा

प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा केवल व्यापार और रणनीतिक साझेदारी तक सीमित नहीं रही, बल्कि इस यात्रा ने भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और विदेशों में सक्रिय भारत विरोधी तत्वों पर शिकंजा कसने की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति की। इस यात्रा के दौरान खालिस्तानी चरमपंथियों और आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई के संदर्भ में जो संकेत मिले, वे भारत की आक्रामक विदेश नीति का प्रतीक हैं।


खालिस्तानी गतिविधियों पर भारत की चिंता

ब्रिटेन में खालिस्तानी गतिविधियों की समस्या कोई नई नहीं है। मोदी की इस यात्रा में भारत ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि ऐसे तत्व न केवल भारत की संप्रभुता के लिए खतरा हैं, बल्कि ब्रिटेन की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी। द्विपक्षीय वार्ता में भारत ने खालिस्तानी गतिविधियों पर रोक लगाने की आवश्यकता को प्राथमिकता दी। ब्रिटेन ने संकेत दिया है कि वह भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेगा।


आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई

नीरव मोदी, ललित मोदी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों की ब्रिटेन में मौजूदगी भारत के लिए वर्षों से चुनौती रही है। मोदी की यात्रा ने इन मामलों में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को नई गति दी। भारत ने ब्रिटेन को यह संदेश दिया कि आर्थिक अपराधियों को शरण देना उसके न्यायिक तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।


सुरक्षा और खुफिया सहयोग में गहराई

इस यात्रा में भारत और ब्रिटेन के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और गहरा करने पर सहमति बनी। इसका उद्देश्य आतंकवादी वित्तपोषण और अलगाववादी आंदोलनों की फंडिंग पर नियंत्रण है। दोनों देशों की एजेंसियों के बीच रीयल टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग और साइबर सुरक्षा में संयुक्त रणनीति पर चर्चा हुई।


भारतीय समुदाय का स्वागत

लंदन पहुँचने पर प्रधानमंत्री मोदी का भारतीय समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया।