भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु का रहस्य: गांधारी का श्राप
भगवान श्री कृष्ण का अवतार
श्रीकृष्ण
भगवान श्री कृष्ण: भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। यह युग श्री कृष्ण के नाम से जाना जाता है। इस समय उन्होंने कई लीलाएं कीं, जो धार्मिक ग्रंथों में वर्णित हैं। महाभारत का युद्ध, जो मानवता के लिए विनाशकारी था, भी इसी युग में हुआ। यह युद्ध 18 दिनों तक चला, जिसमें पांडवों ने विजय प्राप्त की। इस धर्म युद्ध में श्री कृष्ण ने अर्जुन के सारथी का कार्य किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई?
महाभारत के बाद की स्थिति
हालांकि पांडवों ने युद्ध जीत लिया, लेकिन वे अपनी विजय से संतुष्ट नहीं थे। युद्ध में हुई तबाही ने उन्हें विचलित कर दिया। युद्ध के बाद, श्री कृष्ण पांडवों के साथ गांधारी और धृतराष्ट्र के पास दुर्योधन की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने पहुंचे। दुर्योधन की मृत्यु की खबर सुनकर गांधारी और धृतराष्ट्र का दिल दुख से भर गया। गांधारी ने पांडवों को छोड़कर श्री कृष्ण को दुर्योधन की मौत का जिम्मेदार मान लिया।
गांधारी का श्राप
गांधारी ने दिया था श्राप
गांधारी ने श्री कृष्ण पर चिल्लाते हुए कहा कि उन्होंने आपकी पूजा विष्णु के अवतार मानकर की। क्या आपको अपने किए पर कोई लज्जा नहीं है? यदि आप चाहते, तो यह युद्ध कभी नहीं होता। इसके बाद, उन्होंने श्री कृष्ण को श्राप देते हुए कहा कि 36 वर्षों बाद आप भी इस धरती को छोड़ देंगे और यदुवंश का नाश हो जाएगा। यह श्राप श्री कृष्ण की मृत्यु और यदुवंश के अंत का कारण बना।
सांबा का श्राप
कई वर्षों बाद, श्री कृष्ण के पुत्र सांबा ने गर्भवती स्त्री का रूप धारण किया और ऋषियों से मिलने गए। उन्हें इस रूप में देखकर ऋषियों ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि वह एक ऐसा लोहे का तीर पैदा करेंगे जो उनके कुल का नाश कर देगा। सांबा ने यह सुनकर उग्रसेन को बताया, जिन्होंने सलाह दी कि वह उस तीर का चूर्ण बनाकर नदी में बहा दें।
द्वारका में बढ़ते अपराध
द्वारका में अपराध और पाप बढ़ गया
जहां इस चूर्ण को रखा गया, वहां एक विशेष प्रकार की घास उग आई। उग्रसेन ने निर्णय लिया कि यादव राज्य में किसी भी नशीले पदार्थ का उत्पादन और वितरण नहीं होगा। इसके बाद द्वारका में अशुभ संकेत दिखाई देने लगे। श्री कृष्ण ने देखा कि उनके सुदर्शन चक्र, शंख, रथ और बलराम का हल अदृश्य हो गए। द्वारका में अपराध और पाप बढ़ने लगे, जिससे श्री कृष्ण चिंतित हो गए। उन्होंने प्रजा से कहा कि वे प्रभास नदी के तट पर जाकर अपने पापों का प्रायश्चित करें।
श्री कृष्ण की मृत्यु का समय
इस तरह से हुई श्री कृष्ण की मृत्यु
द्वारका के लोग शराब के नशे में लड़ाई करने लगे। गांधारी के श्राप के अनुसार यदुवंश का अंत हो गया। कुछ समय बाद, श्री कृष्ण एक पेड़ के नीचे योग समाधि में थे। इसी दौरान, जरा नामक एक शिकारी ने श्री कृष्ण के हिलते हुए पैरों को हिरण समझकर तीर चला दिया, जिससे भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुई।
