बेंगलुरु में पूर्व BPCL CFO का रिश्वतखोरी का खुलासा, पुलिस पर गंभीर आरोप

बेंगलुरु के पूर्व BPCL CFO के. शिवकुमार ने अपनी बेटी की मृत्यु के बाद पुलिस और अन्य अधिकारियों पर गंभीर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए हैं। उनकी लिंक्डइन पोस्ट ने भ्रष्टाचार के कई पहलुओं को उजागर किया है, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और शिवकुमार के अनुभवों के बारे में।
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बेंगलुरु में पूर्व BPCL CFO का रिश्वतखोरी का खुलासा, पुलिस पर गंभीर आरोप

रिश्वतखोरी के आरोपों का खुलासा

बेंगलुरु में पूर्व BPCL CFO का रिश्वतखोरी का खुलासा, पुलिस पर गंभीर आरोप

पूर्व BPCL CFO के. शिवकुमार ने पुलिस पर लगाए रिश्वत के आरोप

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में, पूर्व भारत पेट्रोलियम (BPCL) के CFO के. शिवकुमार ने एक लिंक्डइन पोस्ट के माध्यम से शहर में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। अपनी बेटी की मृत्यु के बाद उन्होंने पुलिस और अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें खुलेआम रिश्वत मांगने का भी जिक्र है। उनकी पोस्ट के वायरल होते ही बेंगलुरु पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक PSI और एक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया।

बेलंदूर पुलिस स्टेशन के PSI संतोष और कांस्टेबल गोरखनाथ को शिवकुमार से रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किया गया है। शिवकुमार ने अपनी बेटी की मृत्यु के बाद अपने अनुभवों को साझा करते हुए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

लिंक्डइन पोस्ट से खुला भ्रष्टाचार का सच

उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि उनकी इकलौती बेटी अक्षया शिवकुमार (34) ने आईआईएम अहमदाबाद से बीटेक और एमबीए किया था। 18 सितंबर, 2025 को ब्रेन हेमरेज के कारण उनकी मृत्यु हो गई। शिवकुमार ने एंबुलेंस चालक, पुलिस और श्मशान घाट के अधिकारियों द्वारा किए गए उत्पीड़न और रिश्वतखोरी के बारे में लिखा।

रिश्वत की मांग के कई उदाहरण

शिवकुमार ने बताया कि उन्हें एंबुलेंस कर्मचारियों से लेकर पुलिस और श्मशान घाट तक में रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करने के लिए भी रिश्वत दी। कोरमंगला के सेंट जॉन्स अस्पताल तक शव ले जाने के लिए एंबुलेंस कर्मचारियों को 3000 रुपये देने पड़े। इसके अलावा, एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी पुलिस ने रिश्वत मांगी।

उन्होंने बताया कि थाने में पैसे लिए गए, लेकिन जहां पैसे लिए गए वहां सीसीटीवी कैमरा नहीं था। मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी रिश्वत मांगी गई, जिसके लिए उन्होंने लगातार पांच दिनों तक जीबीए कार्यालय के चक्कर लगाए। अंततः एक उच्च अधिकारी से संपर्क करने के बाद उन्हें रिश्वत देने पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया।