बेंगलुरु एयरपोर्ट नमाज विवाद: राजनीति और धार्मिकता का टकराव
बेंगलुरु एयरपोर्ट पर नमाज का विवाद
बेंगलुरु एयरपोर्ट नमाज विवाद.
तीन साल पहले, मैं एयर कनाडा की एक उड़ान से टोरंटो जा रहा था। मेरी बगल में एक सिख दंपत्ति और उनके पास एक मौलाना बैठे थे। यह इकोनॉमी क्लास की बीच वाली कतार थी। मेरी पत्नी दूसरी तरफ़ आइल सीट पर थीं। उस उड़ान में विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ थे। सुबह, सिख महिला गुरबानी का पाठ कर रही थीं, जबकि मौलाना टॉयलेट के पास नमाज़ पढ़ रहे थे। जैन दंपत्ति नमो अरिहंतानम का जाप कर रहे थे। इस दृश्य को देखकर किसी को भी आपत्ति नहीं थी।
धार्मिकता का सार्वजनिक प्रदर्शन
चूंकि यह सब व्यक्तिगत धार्मिक क्रियाकलाप थे, इसलिए किसी ने भी आपत्ति नहीं की। लेकिन जब सार्वजनिक स्थान पर कोई जोर से नमाज़ पढ़ता है, तो विरोध होना स्वाभाविक है। धार्मिक आस्था व्यक्तिगत होती है, और उसका सार्वजनिक प्रदर्शन उचित नहीं है। बेंगलुरु एयरपोर्ट पर कुछ लोगों ने नमाज़ पढ़ी, जिसका वीडियो वायरल हो गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया, जिसके बाद सरकार ने धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाने का निर्णय लिया।
राजनीतिक विवाद का जन्म
यह विवाद अब नैतिकता से अधिक राजनीतिक हो गया है। भाजपा ने मुसलमानों के खुले में नमाज़ पढ़ने पर बवाल किया, जिससे उसका वोट बैंक बढ़ता है। कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाने के बजाय मुसलमानों को संतुष्ट करने का प्रयास किया। सवाल यह है कि जब एयरपोर्ट पर नमाज़ के लिए स्थान निर्धारित है, तो खुले में नमाज़ पढ़ने का क्या औचित्य है?
राजनीतिक रणनीतियाँ
बेंगलुरु एयरपोर्ट पर मल्टी-फेथ प्रेयर रूम मौजूद है, फिर भी नमाज़ की अनुमति कैसे दी गई? भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने-अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। मुसलमानों का खुले में नमाज़ पढ़ना एक शक्ति प्रदर्शन है, जबकि भाजपा इसे हिंदू विरोधी बताकर कांग्रेस को डिफेंसिव कर रही है।
धर्म और जाति का प्रभाव
इस देश में धर्म और जाति के मुद्दे हमेशा से विवाद का कारण रहे हैं। लोकतंत्र की कुछ बुराइयाँ हैं, जैसे कि नियमों का पालन न होना। सरकारें समुदायों का तुष्टिकरण कर रही हैं, जिससे समाज में वैमनस्य फैलता है। भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दल सभी इसी रणनीति का पालन कर रहे हैं।
कर्नाटक में संकीर्णता का माहौल
कर्नाटक में राजनीतिक स्थिति नाजुक है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या वे कन्नड़ जानती हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान है। यह जवाब मुख्यमंत्री के लिए लज्जित करने वाला था।
