बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग की नई रणनीतियों से होगा बदलाव?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनाव आयोग ने नई रणनीतियों की घोषणा की है, जो चुनावी प्रक्रिया में बदलाव ला सकती हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 नई पहलों का ऐलान किया है, जिनमें ईवीएम का उपयोग और रैपिड एक्शन फोर्स का प्रयोग शामिल है। क्या ये पहल सत्ता में परिवर्तन का कारण बनेंगी? जानें इस लेख में बिहार के चुनावी इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग की नई रणनीतियों से होगा बदलाव?

बिहार में चुनाव आयोग की नई पहल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग की नई रणनीतियों से होगा बदलाव?

चुनाव आयोग कितना बदलेगा बिहार?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तैयारियों के बीच अक्टूबर 2005 के चुनावों की याद ताजा हो जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने नई रणनीतियों के साथ चुनावी प्रक्रिया को सुधारने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा है कि इन नई पहलों को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद अन्य राज्यों में भी अपनाया जाएगा। बिहार में एनडीए की सत्ता को बनाए रखने, महागठबंधन को मजबूती देने या प्रशांत किशोर की जनसुराज की संभावनाओं पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन आयोग की रणनीति में बड़े बदलाव की संभावना जरूर है।

इस साल 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान की तुलना अक्टूबर 2005 के चुनाव से की जा रही है, जब के.जे. राव को मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। राव ने उस समय चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे, जिससे बिहार में चुनाव सुधार की नई दिशा मिली थी।


केजे राव का प्रभाव

केजे राव ने 2005 में बूथ लूट पर लगाम लगाई

उस समय बिहार में आरजेडी की सरकार थी और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं। जे.के. राव ने निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने बूथ लूट और हिंसा को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए। उनके प्रयासों से चुनावी प्रक्रिया में सुधार हुआ और बूथ लूट की घटनाएं कम हुईं।


बूथों पर राव की यात्रा

बाइक पर सफर करके बूथों पर किया इंतजाम

बिहार में अपराध की छवि के बावजूद, जेके राव ने हर बूथ का दौरा किया। उनकी निर्भीकता और साहस की कहानियाँ आज भी सुनाई जाती हैं। उन्होंने मोटरसाइकिल से बूथों का निरीक्षण किया और मतदान की व्यवस्था को सुनिश्चित किया।


नई तकनीकों का उपयोग

बिहार में पहली बार ईवीएम और रैपिड एक्शन फोर्स का प्रयोग

जेके राव ने बिहार में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग किया, जबकि कई राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने सुरक्षा के लिए रैपिड एक्शन फोर्स का भी इस्तेमाल किया, जो चुनावी प्रक्रिया में एक नया कदम था।


सत्ता विरोधी लहर

जाति से ऊपर उठकर परिवर्तन के लिए हुआ मतदान

अक्टूबर 2005 में चुनाव के समय सत्ता विरोधी लहर तेज थी। इस बार भी ऐसा ही माहौल दिख रहा है। तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर की जनसभाओं में भीड़ से यह संकेत मिलता है कि जनता परिवर्तन की ओर अग्रसर है।


चुनाव आयोग की नई पहलें

आयोग ने पारदर्शी चुनाव के लिए 17 नई पहलें की

2025 के चुनाव में धांधली रोकने के लिए आयोग ने कई नई पहलों की घोषणा की है। इनमें बूथ लेवल एजेंट्स की ट्रेनिंग, मतदान अधिकारियों की सुरक्षा, और ईवीएम में बदलाव शामिल हैं। आयोग का दावा है कि इससे मतदान प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी।