बहरीन और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर समझौता: ईरान के तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण कदम

बहरीन का नया कदम
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं और मध्य पूर्व में तनाव के बीच, बहरीन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हाल ही में, बहरीन और अमेरिका ने एक सिविल न्यूक्लियर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
समझौते का महत्व
यह समझौता न केवल शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के विकास की दिशा में एक कदम है, बल्कि इसे अमेरिका द्वारा ईरान को एक अप्रत्यक्ष संदेश भी माना जा रहा है। यदि तेहरान सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाता है, तो उसे भी इसी तरह की साझेदारी का लाभ मिल सकता है।
अमेरिका का सहयोग
इस समझौते के तहत, अमेरिका बहरीन को न्यूक्लियर तकनीक, अनुसंधान, सुरक्षा प्रोटोकॉल और कौशल विकास में सहायता प्रदान करेगा। बहरीन ने 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए वह स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।
SMR: छोटे देश की बड़ी उम्मीद
बहरीन जैसे छोटे देश के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। ये रिएक्टर न केवल किफायती और कॉम्पैक्ट होते हैं, बल्कि इन्हें स्थापित करना और संचालित करना भी सरल होता है। यूएई की तरह, बहरीन भी विदेशी तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से इन्हें संचालित करने की योजना बना रहा है।
निवेश का बड़ा पैकेज
इस न्यूक्लियर समझौते के साथ, बहरीन ने अमेरिका में लगभग 17 अरब डॉलर के निवेश की भी घोषणा की है, जिसमें विमानन, तकनीक और उद्योग जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा, एक 800 किलोमीटर लंबा सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित किया गया है, जो बहरीन, सऊदी अरब, कुवैत और इराक को जोड़ने का कार्य करेगा।
बहरीन और अमेरिका के संबंध
अमेरिका और बहरीन के बीच संबंध कई दशकों से मजबूत हैं। अमेरिकी नौसेना की Fifth Fleet का मुख्यालय बहरीन में स्थित है। दोनों देशों के बीच पहले से ही मुक्त व्यापार समझौते और अब्राहम समझौतों जैसे कई समझौते मौजूद हैं। इस प्रकार, यह न्यूक्लियर समझौता केवल ऊर्जा तक सीमित नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।