प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन: पहलगाम हमले के शोक में धैर्य और आध्यात्मिकता
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई। इस घटना के बाद प्रेमानंद महाराज ने शोक संतप्त परिवारों को धैर्य और आध्यात्मिक साधना का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि ईश्वर के नाम का जप कैसे मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है। जानें महाराज का करुणामय मार्गदर्शन और कैसे उन्होंने प्रभावित लोगों को सांत्वना दी।
Aug 8, 2025, 13:30 IST
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दुखद पहलगाम हमला
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक दुखद आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। इस घटना से प्रभावित लोगों में संजय द्विवेदी भी शामिल थे, जो कानपुर से वृंदावन आए थे। उन्होंने प्रेमानंद महाराज से बातचीत के दौरान अपने बेटे की इस हमले में हुई मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया। संजय ने महाराज से पूछा कि उनका बेटा बहुत आध्यात्मिक था, फिर भी इस विपत्ति का सामना क्यों करना पड़ा। यह सवाल उनके दिल में गहरा दुःख पैदा कर रहा था। प्रेमानंद महाराज ने इस पर अर्जुन और अभिमन्यु की महाकाव्य कथा का उल्लेख करते हुए उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मन का अत्यधिक व्याकुल होना स्वाभाविक है, जैसे भगवान कृष्ण के उपदेश के बावजूद अर्जुन का मन व्याकुल रहा। महाराज ने संजय को याद दिलाया कि जो होना है, वह अवश्य होगा और उनसे धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया, यह समझते हुए कि हर जीव का जीवनकाल पूर्वनिर्धारित है।
धैर्य और भक्ति का महत्व
महाराज ने पहलगाम हमले की खबर सुनकर अपने दुःख का इजहार किया। उन्होंने कहा कि जो लोग इस भयावहता के साक्षी बने हैं या जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, उन्हें धैर्य रखना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अत्यधिक दुःख और रोना अवसाद का कारण बन सकता है। इस कठिन समय से उबरने के लिए, महाराज ने निरंतर ईश्वर के नाम जप (नाम जप) की सलाह दी और इसे कष्टदायक परिस्थितियों से उबरने का एक महत्वपूर्ण अभ्यास बताया।
आध्यात्मिक साधना का मार्ग
अपनी मानसिक स्थिति को धीरे-धीरे सुधारने के लिए, प्रेमानंद महाराज ने नियमित 'नाम जप' और ईश्वर की भक्ति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह आध्यात्मिक साधना धीरे-धीरे परेशान करने वाले विचारों को कम करती है और मन को स्थिर बनाती है। महाराज ने दुःख के बीच सांत्वना और शांति पाने के लिए ईश्वर के नाम का दैनिक जप करने का अभ्यास करने का आह्वान किया। प्रेमानंद महाराज का यह करुणामय मार्गदर्शन पहलगाम हमले से प्रभावित परिवारों को उनके कठिन समय में धैर्य और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करता है।