प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका में नया अध्याय

भारत की नई कूटनीतिक उपलब्धियाँ
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेषकर अफ्रीकी और दक्षिणी देशों के साथ सहयोग में भारत की भूमिका को एक नई दिशा दी है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, भाजपा सांसद ने प्रधानमंत्री की यात्रा के महत्वपूर्ण परिणामों पर चर्चा की। ब्रिक्स देशों द्वारा 2025 घोषणापत्र में पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा के बाद, त्रिवेदी ने इसे भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कूटनीतिक सफलता बताया।
प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा के परिणाम
त्रिवेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी लंबी विदेश यात्रा के बाद आज वापस लौटे हैं। इस यात्रा के दौरान भारत ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक स्वीकृति प्रधानमंत्री द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित की गई। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर भारत के पक्ष का सर्वसम्मति से अनुमोदन हुआ, और प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के पीड़ित और प्रायोजक को एक तराजू में नहीं रखा जा सकता।
भारत की आर्थिक स्थिति और सामरिक हित
भाजपा नेता ने कहा कि भारत अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और तीसरी बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि हमारे आर्थिक और सामरिक हित कई महत्वपूर्ण सामग्रियों पर निर्भर हैं, जैसे डायमंड, यूरेनियम, लिथियम और गोल्ड। घाना और नामीबिया जैसे देशों के साथ भारत के समझौते से न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ती है, बल्कि महत्वपूर्ण सामग्रियों के लिए किसी एक देश पर निर्भरता भी समाप्त होती है।
भारत की विदेश नीति में बदलाव
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमारी सरकार के आने से पहले, ब्रिक्स को कमजोर माना जाता था, लेकिन अब भारत इसका सबसे मजबूत पक्ष बन गया है। हम ब्रिक्स और क्वाड के सदस्य होने वाले एकमात्र देश हैं, जो भारत की विदेश नीति के नए युग में प्रवेश को दर्शाता है। पहले भारत को गुटनिरपेक्ष माना जाता था, लेकिन अब हमारी सभी विदेश नीतियाँ एकरूप हैं।
प्रधानमंत्री को मिले सम्मान
उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री को चार देशों ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है। अब तक, प्रधानमंत्री को 27 देशों का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त हो चुका है, और वे 17 देशों की संसद को संबोधित कर चुके हैं। यह सम्मान हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।