पाकिस्तान की कूटनीति पर संकट: अमेरिका में मुनीर की यात्रा और इजरायली हमले का प्रभाव

पाकिस्तान की खुशी और निराशा
पाकिस्तान ने जब अपने फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को अमेरिका द्वारा सैन्य दिवस पर आमंत्रित किए जाने की खबर सुनी, तो वह बेहद खुश था। पाकिस्तानियों को लगा कि उनकी कूटनीति सफल हो रही है और अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार होगा, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में संबंधों में गर्मजोशी नहीं थी।
मुनीर की अमेरिका यात्रा पर पाकिस्तानी मीडिया की प्रतिक्रिया
हालांकि, यह चर्चा का विषय है कि क्या मुनीर वास्तव में आमंत्रित थे या नहीं। पाकिस्तान के लोग और मीडिया, जो इस कदम को भारत पर जीत के रूप में देख रहे थे, अब इसे एक बड़ी विफलता के रूप में देख रहे हैं।
पाकिस्तानी मीडिया ने बताया कि मुनीर 14 जून को अमेरिकी सशस्त्र बलों की 250वीं वर्षगांठ समारोह में मेहमान के रूप में शामिल होंगे। अंततः, आसिम मुनीर वाशिंगटन पहुंचे।
इजरायली हमले ने पाकिस्तान को कूटनीतिक संकट में डाल दिया
इस बीच, 12 जून को इजराइल ने ईरान पर हवाई हमले किए, जिससे पाकिस्तान की सारी खुशी खत्म हो गई और उसकी नेतृत्व और मीडिया में निराशा छा गई। पाकिस्तान हमेशा ईरान का समर्थन करता रहा है, और इजरायली लड़ाकू विमानों ने न केवल परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया, बल्कि देश के शीर्ष कमांडरों और प्रमुख वैज्ञानिकों को भी मार डाला।
मुनीर के आमंत्रण पर संदेह और प्रतिक्रिया
इस घटना ने पाकिस्तान के लिए एक संकट का रूप ले लिया। अब, मीडिया घटनाक्रम का विश्लेषण कर रहा है, जिससे ईरान में चिंता बढ़ सकती है: जब उसका देश हमले का शिकार था, तब एक 'भाईचारे' वाले देश का सेना प्रमुख अमेरिकी सैन्य परेड में शामिल हो रहा था।
पाकिस्तान ने समझ लिया है कि यह घटना उसके लिए कोई रणनीतिक लाभ नहीं देगी।
पाकिस्तान को ईरान और अमेरिका के बीच संतुलन बनाना होगा
पाकिस्तान को एक संतुलन बनाने का तरीका खोजना होगा—जहां वह ईरान के सामने अपनी गरिमा बनाए रख सके, जबकि अमेरिका की नाराजगी से भी बचे। अमेरिका पाकिस्तान के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए उत्सुक है, जैसा कि ट्रंप ने 'सिंधूर ऑपरेशन' के दौरान वादा किया था।
विशेषज्ञों ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि इजराइल भविष्य में पाकिस्तान को निशाना बना सकता है।
पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण क्षण
यह निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। हालांकि, पाकिस्तानी नागरिकों और मीडिया को उम्मीद है कि नेतृत्व इस बार परिपक्वता दिखाएगा, जो अक्सर विदेश नीति में कमी दिखाता है।