नेपाल में सुशीला कार्की का ऐतिहासिक प्रधानमंत्री पद ग्रहण
नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच, सुशीला कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चयन एक ऐतिहासिक घटना है। वह न केवल नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं, बल्कि उनके नेतृत्व को युवाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं से समर्थन भी प्राप्त है। भारत ने इस बदलाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, जो नेपाल की स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। कार्की सरकार को चुनाव कराने की चुनौती का सामना करना होगा, और यदि वह सफल होती है, तो यह पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक सकारात्मक संदेश होगा।
Sep 13, 2025, 17:22 IST
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नेपाल के राजनीतिक संकट का नया मोड़
नेपाल में राजनीतिक संकट ने तेजी से नया मोड़ लिया है, जिसने दक्षिण एशिया का ध्यान आकर्षित किया है। के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे और उसके बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों ने देश को अराजकता में धकेल दिया। इस बीच, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चयन एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं, और उनके नेतृत्व को युवा पीढ़ी और लोकतांत्रिक संस्थाओं से समर्थन प्राप्त है।
संविधानिक समाधान की ओर बढ़ता नेपाल
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कार्की को शपथ दिलाकर यह संकेत दिया है कि राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक समाधान सामने आया है। कार्की सरकार को छह महीने के भीतर चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है, जो आसान नहीं होगी। भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और सामाजिक अशांति जैसी चुनौतियाँ उनके सामने हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस नए राजनीतिक बदलाव पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्की को शपथ ग्रहण पर बधाई देते हुए कहा कि भारत नेपाल के शांति, स्थिरता और प्रगति के प्रयासों में हर संभव सहयोग करेगा। मोदी का यह बयान केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत-नेपाल के साझा इतिहास और विश्वास को दर्शाता है।
संस्कृतिक और भौगोलिक जुड़ाव
महत्वपूर्ण यह है कि मोदी ने मणिपुर से नेपाल को संदेश दिया। यह प्रतीकात्मक रूप से भारत-नेपाल के गहरे सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधों को दर्शाता है। भारत जानता है कि नेपाल की स्थिरता उसकी अपनी सुरक्षा और विकास से जुड़ी है। इसलिए, भारत का यह विश्वास कि वह नेपाल के साथ खड़ा रहेगा, काठमांडू की नई सरकार के लिए एक बड़ी ताकत है।
सुशीला कार्की का भारत से संबंध
सुशीला कार्की का वाराणसी से संबंध और लोकतांत्रिक आंदोलनों में उनकी सक्रियता उन्हें भारत के करीब लाती है। जब नेपाल अशांति और राजनीतिक अनिश्चितता का सामना कर रहा है, उनका नेतृत्व न केवल लोकतांत्रिक पुनर्निर्माण का प्रतीक है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का उदाहरण भी है। आने वाले महीनों में नेपाल के लिए महत्वपूर्ण निर्णय होंगे। यदि कार्की सरकार लोकतांत्रिक चुनाव की दिशा में पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखती है, तो यह न केवल नेपाल बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक सकारात्मक संदेश होगा। भारत का सहयोग इस प्रक्रिया को और सरल बना सकता है।