नेपाल में जनरेशन Z का उभार: सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन

नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल
नेपाल में 8 सितंबर से राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं, जब हजारों युवा राजधानी की सड़कों पर उतरे। उनका मुख्य मांग थी कि सरकार अचानक लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध को हटाए और बढ़ती भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध
शुक्रवार से फेसबुक, यूट्यूब और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे लोकप्रिय प्लेटफार्मों को बंद कर दिया गया है, क्योंकि सरकार ने 26 अनरजिस्टर्ड साइटों को ब्लॉक कर दिया। इस कदम ने लोगों में गुस्सा और भ्रम पैदा कर दिया है, खासकर ऐसे देश में जहां इंस्टाग्राम के लाखों सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, जो इन ऐप्स पर समाचार, मनोरंजन और छोटे व्यवसायों के लिए निर्भर करते हैं।
जनरेशन Z की पहचान
प्रदर्शनकारियों ने, जो मुख्य रूप से जनरेशन Z के सदस्य हैं, राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए और राष्ट्रगान गाते हुए रैली की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने सेंसरशिप और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण सवाल उठाता है: जनरेशन Z वास्तव में कौन हैं?
जनरेशन Z कौन हैं?
जनरेशन Z, जिन्हें 'ज़ूमर्स' भी कहा जाता है, वे लोग हैं जो 1990 के मध्य से 2010 के प्रारंभ तक पैदा हुए हैं। ये मिलेनियल्स के बाद और जनरेशन अल्फा से पहले आते हैं। इस पीढ़ी ने इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के बीच बड़े होकर पहली बार 'डिजिटल नेटिव' पीढ़ी का अनुभव किया।
सोशल मीडिया प्रतिबंध के कारण जनरेशन Z का उभार
सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध के बाद काठमांडू की सड़कों पर गुस्सा फूट पड़ा। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और एक्स पर प्रतिबंध को मानवाधिकार समूहों द्वारा व्यापक रूप से निंदा की गई। इन प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 19 लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। जनरेशन Z, जो 13 से 28 वर्ष के बीच के हैं, ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया है, जो नेपाल के इतिहास में सबसे खराब स्थिति बन गई है और अब एक और सरकार को अस्थिर करने की धमकी दे रही है।