धसगुड़ जलप्रपात में हादसा: युवाओं के लिए खतरा बनते प्राकृतिक दृश्य

बलौदाबाजार के धसगुड़ जलप्रपात में एक किशोर की गिरने से गंभीर चोटें आई हैं, जो सुरक्षा की कमी को उजागर करती हैं। बारिश के मौसम में जलप्रपातों की ओर बढ़ते युवाओं के लिए यह घटना एक चेतावनी है। क्या प्रशासन सुरक्षा उपायों को लागू करेगा? जानें पूरी कहानी और इसके पीछे की चिंताएं।
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धसगुड़ जलप्रपात में हादसा: युवाओं के लिए खतरा बनते प्राकृतिक दृश्य

धसगुड़ जलप्रपात में हादसा

धसगुड़ जलप्रपात में हादसा: युवाओं के लिए खतरा बनते प्राकृतिक दृश्य


बलौदाबाजार: जिले में हो रही लगातार बारिश ने खेतों को हरा-भरा कर दिया है, लेकिन इसके साथ ही जलप्रपातों और नदियों में पानी का बहाव भी बढ़ गया है। इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए लोग जलप्रपातों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन कुछ युवक अपनी जान को खतरे में डालकर सेल्फी और वीडियो बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


गुरुवार की शाम को बलौदाबाजार के धसगुड़ जलप्रपात में एक दुखद घटना घटी, जब पलारी ब्लॉक के छेरकापुर गांव से आए तीन किशोरों में से एक, 15 वर्षीय निखिल साहू, जलप्रपात की ऊंचाई पर चढ़ गया। वहां से वह दृश्य का आनंद ले रहा था, लेकिन एक चूक ने उसकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया।


निखिल का पैर फिसल गया और वह 60-65 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गया। उसके शरीर की चार हड्डियां टूट गईं और उसे गंभीर चोटें आईं। फिलहाल, उसका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है और डॉक्टरों का कहना है कि वह अब खतरे से बाहर है।


धसगुड़ जलप्रपात एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है, जहां हर साल सैकड़ों लोग आते हैं। लेकिन यहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। ना कोई चेतावनी बोर्ड है, ना फेंसिंग और ना ही रेस्क्यू सिस्टम। ऐसे में यदि कोई गिर जाए, तो उसकी सुरक्षा केवल भाग्य पर निर्भर करती है।


आजकल, जलप्रपातों पर रील बनाना और ऊंचाई से कूदना एक ट्रेंड बन गया है, जो असंवेदनशीलता की सीमा को पार कर रहा है। हर साल कई युवा सेल्फी लेते समय हादसे का शिकार होते हैं। भारत को 'सेल्फी डेथ कैपिटल' कहा जाने लगा है।


बलौदाबाजार की यह घटना एक चेतावनी है। जिले के प्रमुख जलप्रपातों में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि ये स्थान बारिश के मौसम में हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? क्या सुरक्षा उपाय केवल हादसों के बाद ही लागू होंगे?


इस घटना ने माता-पिता और समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि युवाओं को सोशल मीडिया के दिखावे से कैसे दूर रखा जाए। रोमांच के नाम पर जीवन को खतरे में डालना अब सामान्य हो गया है। युवाओं को यह समझाना आवश्यक है कि एक अच्छी फोटो के लिए अपने भविष्य को दांव पर लगाना समझदारी नहीं है।