दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति: सुधार की उम्मीदें और चुनौतियाँ
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार की कोशिशें

दिल्ली-एनसीआर में निवासियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है। तीन दिनों तक गंभीर स्तर पर रहने के बाद, बुधवार की सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक में कुछ सुधार देखा गया, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। सुबह के समय, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 377 था, जबकि मंगलवार को यह 498 के पार चला गया था।
दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा को अपनी विफलताओं के लिए दिल्लीवासियों से माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की समस्या आम आदमी पार्टी की सरकार को विरासत में मिली है और इसे 12 साल पुरानी इस बीमारी को 9-10 महीनों में ठीक करना संभव नहीं था।
दिल्ली सरकार ने 18 दिसंबर से केवल बीएस-6 ग्रेड की गाड़ियों को दिल्ली में प्रवेश देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, जिन गाड़ियों के पास प्रदूषण प्रमाणपत्र नहीं होगा, उन्हें पेट्रोल और डीज़ल नहीं मिलेगा। सिरसा ने कहा कि सरकार दिल्लीवासियों को राहत देने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन समस्या इतनी जटिल है कि इसके समाधान में समय लगेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली की स्थिति में सुधार के लिए शहर की सीमाओं से परे एक योजना बनानी होगी और इसके चारों ओर विकसित हो रहे जटिल पारिस्थितिकी तंत्र को समझना आवश्यक है। स्वच्छ वायु के लिए एकीकृत सार्वजनिक परिवहन, पैदल चलने और साइकिल चलाने को बढ़ावा देना होगा। बिजली संयंत्रों के लिए बेहतर उत्सर्जन मानक अपनाने होंगे, पराली जलाने पर जुर्माने के साथ-साथ इसे खाद में बदलने की किफायती योजना लागू करनी होगी।
पर्यावरण केवल एक सरकार या पार्टी का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हम सभी और आने वाली पीढ़ियों के जीवन से जुड़ा है। दिल्ली को एक विश्वस्तरीय, समावेशी और रहने योग्य वैश्विक राजधानी बनाने के लिए 25 वर्ष आगे का मास्टर प्लान तैयार करना होगा।
