दिल्ली कोर्ट ने विकाश यादव के खिलाफ जारी किया गैर-जमानती वारंट

दिल्ली कोर्ट का निर्णय
दिल्ली की एक अदालत ने विकाश यादव, जो एक पूर्व R&AW अधिकारी हैं, के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। अमेरिका ने उन्हें खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की साजिश में शामिल बताया है। अदालत ने यह भी नोटिस जारी किया है कि यादव ने अपहरण और जबरन वसूली के मामले में बार-बार समन भेजे जाने के बावजूद पेश नहीं हुए।
अदालत का आदेश
सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह ललेर ने आदेश दिया कि विकाश यादव सुबह से अनुपस्थित रहे। न्यायाधीश ने यादव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया और उनके जमानतदार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 491 के तहत नोटिस भेजने का आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
विकाश यादव कौन हैं?
अमेरिकी अभियोजकों ने पूर्व R&AW अधिकारी विकाश यादव पर खालिस्तानी अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की एक विफल साजिश का निर्देशन करने का आरोप लगाया है। यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का कारण बना है और यह 2023 में कनाडा में हुई एक हत्या से मिलता-जुलता है। न्यूयॉर्क में अमेरिकी अभियोजकों ने कहा कि "हत्याकांड के लिए पैसे की मांग और धन शोधन के आरोपों के तहत विकाश यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।"
यादव का परिचय
विकाश यादव का जन्म 1984 में हरियाणा में हुआ था। FBI के नोटिस के अनुसार, उन्होंने अपने सह-साजिशकर्ता निखिल गुप्ता के साथ हत्या की साजिश को अंजाम देने के लिए "अमनत" उपनाम का उपयोग किया। वह CRPF में "सहायक कमांडेंट" थे और 135 लोगों की कंपनी के कमांडर थे। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि "अमेरिकी अभियोग में नामित व्यक्ति अब भारतीय सरकार का कर्मचारी नहीं है।"
MEA की पुष्टि
MEA के प्रवक्ता रंधीर जयस्वाल ने कहा, "अमेरिकी विदेश विभाग ने हमें सूचित किया है कि अभियोग में उल्लेखित व्यक्ति अब भारत में कार्यरत नहीं है। मैं पुष्टि करता हूँ कि वह अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है।"