तुर्की की टूरिज़्म इंडस्ट्री को भारत से बायकॉट का झटका

तुर्की ने भारत के खिलाफ राजनीतिक बयान देकर अपनी टूरिज़्म इंडस्ट्री को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। भारतीय पर्यटकों की संख्या में 24% की गिरावट आई है, जो बायकॉट अभियान का परिणाम है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और तुर्की की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में।
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तुर्की की टूरिज़्म इंडस्ट्री को भारत से बायकॉट का झटका

भारत से तुर्की को बड़ा नुकसान

तुर्की ने भारत के साथ विवाद में उलझकर भारी कीमत चुकाई है। भारतीय पर्यटकों की नाराज़गी और सोशल मीडिया पर चल रहे बहिष्कार अभियान के कारण तुर्की की पर्यटन उद्योग को गंभीर झटका लगा है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, मई 2025 में तुर्की आने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 24% की कमी आई है, और यह सब एक महीने के भीतर हुआ।


राजनीतिक बयान का प्रभाव

दरअसल, 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान तुर्की के भारत के खिलाफ बयान और पाकिस्तान के प्रति उसके समर्थन ने भारतीयों को आहत किया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीयों ने सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey हैशटैग चलाया, जिसका सीधा असर तुर्की के पर्यटन क्षेत्र पर पड़ा।


पर्यटन में गिरावट का कारण

हर साल लाखों भारतीय पर्यटक तुर्की की यात्रा करते हैं, विशेषकर इस्तांबुल, कप्पाडोकिया और एंटाल्या जैसे स्थलों पर। लेकिन तुर्की के राजनीतिक रुख के कारण, भारतीय ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्की टूर पैकेज की बिक्री में कमी करना शुरू कर दिया है।


बायकॉट का प्रभाव

मई 2025 में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 24% की गिरावट तुर्की के लिए एक गंभीर चेतावनी है। जबकि अन्य देशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या स्थिर रही या बढ़ी, भारत से यह गिरावट बायकॉट अभियान का स्पष्ट संकेत है।


आर्थिक नुकसान का आकलन

भारत तुर्की के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन बाजार था। भारतीय पर्यटक न केवल बड़ी संख्या में आते थे, बल्कि वे उच्च श्रेणी के होटलों, खरीदारी और स्थानीय गाइड सेवाओं पर भी अच्छा खर्च करते थे। अब जब भारतीय तुर्की से दूरी बना रहे हैं, तो इसका आर्थिक नुकसान अरबों रुपये में आंका जा सकता है।


नुकसान की शुरुआत

भारत दुनिया के सबसे बड़े यात्रा बाजारों में से एक है। एक बार जब वहां से नकारात्मक संकेत मिलता है, तो इसका प्रभाव केवल पर्यटन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह व्यापार, कूटनीति और निवेश पर भी पड़ सकता है। तुर्की ने भारत के प्रति जो दुश्मनी दिखाई है, उसका आर्थिक मूल्य अब उसे चुकाना पड़ रहा है।