जम्मू-कश्मीर में दो शिक्षकों की बर्खास्तगी, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो शिक्षकों को आतंकवाद से जुड़े आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया है। महबूबा मुफ्ती ने इस निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, उनका कहना है कि यह कदम मुसलमानों को कमजोर करने के लिए उठाया गया है। इस मामले में अब तक 80 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और शिक्षकों की पृष्ठभूमि के बारे में।
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जम्मू-कश्मीर में दो शिक्षकों की बर्खास्तगी, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

बर्खास्तगी का मामला

जम्मू-कश्मीर में दो शिक्षकों की बर्खास्तगी, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

अब तक 80 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त हो चुके

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद से जुड़े आरोपों के चलते दो सरकारी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। इनकी पहचान गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार के रूप में हुई है। दोनों शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। इस निर्णय पर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, उनका कहना है कि यह कदम मुसलमानों, विशेषकर कश्मीरियों को कमजोर करने के लिए उठाया गया है।

सूत्रों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत लगभग 80 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं।


महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया

मुसलमानों को कमजोर किया जा रहा

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इन बर्खास्तियों के पीछे एक बड़ा एजेंडा है, जो मुसलमानों को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन कर्मचारियों को अपनी बेगुनाही साबित करने का अवसर नहीं दिया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि कश्मीरियों को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि पहले उन्हें आरक्षण की पक्षपातपूर्ण नीतियों के कारण हाशिए पर धकेला गया और अब उन्हें गलत तरीके से बर्खास्त किया जा रहा है।


उपराज्यपाल का निर्णय

उपराज्यपाल के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई मनोज सिन्हा की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ व्यापक कार्रवाई की जा रही है।


गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार की पृष्ठभूमि

लश्कर का ओवरग्राउंड वर्कर है हुसैन

गुलाम हुसैन को 2004 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था और 2009 में नियमित किया गया। उन पर लश्कर के लिए गुप्त रूप से काम करने का आरोप है। वह रियासी और आसपास के क्षेत्रों में आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने में सक्रिय थे। 2023 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

जांच में पता चला कि हुसैन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के संपर्क में था और उन्हें आतंकवाद को समर्थन देने वाले परिवारों तक पहुंचाता था।


माजिद इकबाल डार की भूमिका

2019 में डार को बनाया टीचर

माजिद इकबाल डार को 2009 में शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक के रूप में नियुक्त किया गया और 2019 में शिक्षक के रूप में पदोन्नत किया गया। वह भी लश्कर के ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम कर रहे थे। डार नार्को-आतंकवाद में भी शामिल था और उसके आतंकवादी संबंधों का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने राजौरी में एक आईईडी बरामद की।