चीन की म्यांमार में बढ़ती दखलंदाजी: भारत के लिए नई चुनौतियाँ

चीन का म्यांमार पर प्रभाव
भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में चीन की गतिविधियाँ कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन अब ड्रैगन ने म्यांमार पर भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। यह देश भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के निकट स्थित है और यहाँ पिछले चार वर्षों से जुंटा सेना और विद्रोही समूहों के बीच भीषण गृहयुद्ध चल रहा है। इस संघर्ष में अब चीन ने अपनी भूमिका को और बढ़ा दिया है।
विद्रोहियों की जीत और चीन का हस्तक्षेप
हाल ही में म्यांमार के लाशियो शहर में विद्रोही समूहों ने जुंटा सेना के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई की, जिसे गृहयुद्ध की सबसे बड़ी जीत माना गया। लेकिन इसके तुरंत बाद, विद्रोहियों ने बिना किसी संघर्ष के शहर को खाली कर दिया, जिसका कारण चीन का आदेश था।
चीन का आदेश
विद्रोही नेताओं का कहना है कि चीन ने न केवल सीमा व्यापार को रोक दिया, बल्कि बिजली और इंटरनेट सेवाएँ भी बंद कर दीं। इसके अलावा, एक विद्रोही कमांडर को चीन की सीमा में घुसने पर हिरासत में लिया गया। चीन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके निवेश वाले क्षेत्रों में कोई संघर्ष नहीं होना चाहिए।
लाशियो का महत्व
लाशियो, म्यांमार के उत्तरी शान राज्य का एक शहर है, जो चीन की सीमा से केवल 75 किलोमीटर दूर है। यह क्षेत्र चीन की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे वह बंगाल की खाड़ी से तेल और गैस पाइपलाइन के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त करता है। इसके अलावा, यहाँ बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के कई अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं।
चीन का दोहरा रवैया
चीन एक ओर सार्वजनिक मंचों पर गैर-हस्तक्षेप की बात करता है, वहीं दूसरी ओर वह म्यांमार की सेना और विद्रोही समूहों दोनों को हथियार भी मुहैया कराता है। कोकांग ग्रुप, जिसने लाशियो पर कब्जा किया, चीन का समर्थक है और इसके लड़ाके चीनी मूल के हैं।
जुंटा की बर्बरता और चीन की चुप्पी
म्यांमार की जुंटा सेना नागरिकों पर हवाई हमले कर रही है, जिसमें चीन निर्मित ड्रोन और फाइटर जेट्स का उपयोग हो रहा है। हाल ही में एक स्कूल पर बमबारी की गई, जिसमें 22 बच्चों सहित 24 लोगों की मौत हुई। इसके बावजूद, चीन शांति की बात करता है और जुंटा की आलोचना करने से बचता है।
भारत के लिए खतरा
भारत के लिए यह चिंता का विषय है कि म्यांमार उसकी पूर्वोत्तर सीमाओं से सटा हुआ है। चीन की बढ़ती दखलंदाजी इस क्षेत्र की सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को खतरे में डाल सकती है। नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश के बाद अब म्यांमार में भी चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए नई चुनौतियाँ पैदा कर सकती है।