चीन का दोहरा रवैया: अमेरिका को रेयर अर्थ मैग्नेट्स का बढ़ता निर्यात, भारत को नजरअंदाज

चीन का दोहरा रवैया रेयर अर्थ मैग्नेट्स के मामले में स्पष्ट हो गया है, जहां उसने अमेरिका को निर्यात बढ़ाकर भारत को नजरअंदाज किया है। जून में अमेरिका को 353 मीट्रिक टन का निर्यात किया गया, जबकि भारत को केवल 172 मीट्रिक टन मिले। यह स्थिति भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए गंभीर संकट का संकेत है। जानें इस मुद्दे के पीछे की वजहें और चीन की रणनीति।
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चीन का दोहरा रवैया: अमेरिका को रेयर अर्थ मैग्नेट्स का बढ़ता निर्यात, भारत को नजरअंदाज

चीन का दोहरा रवैया

चीन का दोहरा रवैया रेयर अर्थ मैग्नेट्स के मामले में स्पष्ट हो गया है। एक ओर, चीन ने अमेरिका को इन महत्वपूर्ण सामग्रियों का निर्यात बढ़ाकर सात गुना कर दिया है, जबकि भारत को नजरअंदाज किया गया है। ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आवश्यक हैं, और इस निर्यात नीति ने भारत के लिए चिंता बढ़ा दी है.


अमेरिका को क्यों मिल रहा चीन से इतना प्यार?

एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने जून 2025 में अमेरिका को 353 मीट्रिक टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का निर्यात किया, जो मई के मुकाबले 660% की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापारिक समझौतों का परिणाम है, जिसमें रेयर अर्थ मेटल्स और चुंबकों के निर्यात से जुड़े मुद्दों का समाधान किया गया है.


भारत को निराशाजनक आंकड़े

भारत के लिए स्थिति निराशाजनक है। जून में चीन ने भारत को केवल 172 मीट्रिक टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का निर्यात किया, जो मई की तुलना में केवल 14% की वृद्धि है। यह आंकड़ा अमेरिका, जर्मनी और पोलैंड जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है, जिससे भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग पर गंभीर संकट का खतरा मंडरा रहा है.


जर्मनी और पोलैंड की स्थिति

जर्मनी को जून में 764 मीट्रिक टन और पोलैंड को 738% की वृद्धि के साथ निर्यात किया गया। यदि शीर्ष 10 देशों की बात करें, तो भारत इस सूची में सबसे नीचे है, जो दर्शाता है कि चीन की प्राथमिकताओं में भारत का स्थान नहीं है.


चीन का निर्यात बैन

अप्रैल में, चीन ने कुछ रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी, जो अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में था। इसके परिणामस्वरूप, वैश्विक स्तर पर शिपमेंट प्रभावित हुआ, जिससे भारत और अमेरिका सहित कई देशों में सप्लाई चेन में बाधा आई.