ग्वालियर व्यापार मेला: बाल रेल की अनुपस्थिति से घटती जा रही है पहचान

ग्वालियर व्यापार मेला, जो कभी लाखों सैलानियों को आकर्षित करता था, अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। बाल रेल की अनुपस्थिति ने इस मेले की लोकप्रियता को प्रभावित किया है। 2014-15 में हुए एक हादसे के बाद से बाल रेल का संचालन बंद है। मेला प्राधिकरण ने दुकानदारों के लिए आवेदन की तिथि बढ़ा दी है, लेकिन बाल रेल की वापसी की कोई उम्मीद नहीं दिखती। जानें इस मेले के इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में।
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ग्वालियर व्यापार मेला की घटती लोकप्रियता

ग्वालियर व्यापार मेला: बाल रेल की अनुपस्थिति से घटती जा रही है पहचान


ग्वालियर व्यापार मेला धीरे-धीरे अपनी पहचान खोता जा रहा है। पहले यह मेला हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता था, लेकिन अब यह केवल औपचारिकता बनकर रह गया है।


पिछले एक दशक से एक खास आकर्षण, जिसे बच्चे और बड़े दोनों ही पसंद करते थे, गायब है - बाल रेल। 2014-15 में हुए एक दुखद हादसे के बाद से बाल रेल का संचालन फिर से शुरू नहीं हो पाया है। मेला प्राधिकरण ने अब उस स्थान को रेलवे से वापस मांगने के लिए पत्र भी लिखा है, जहां बाल रेल चलती थी।


वास्तव में, 2014-15 में व्यापार मेले के दौरान बाल रेल की यात्रा के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी। यह दुर्घटना तब हुई जब बच्चा अचानक ट्रैक पर चढ़ गया और इंजन से कुचल गया। इस गंभीर घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने तुरंत बाल रेल का संचालन बंद कर दिया, और तब से यह निर्णय प्रभावी है।


दुकानों के लिए आवेदन की नई तिथि

दुकानों के लिए अब 26 नवंबर तक करें आवेदन


ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण ने दुकानदारों के लिए आवेदन करने और किराया जमा करने की अंतिम तिथि 24 से 26 नवंबर तक बढ़ा दी है। पहले यह तिथि 21 नवंबर थी। अब तक 1904 दुकानदारों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। अधिकारियों ने बताया कि व्यापारियों की मांग पर संभागीय आयुक्त ने यह अनुमति दी है। निर्धारित तिथि के बाद कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।


बाल रेल का संचालन और इतिहास

बाल रेल का पूरा सेटअप - इंजन, कोच, ट्रैक, सिग्नल और स्टेशन पिछले दस वर्षों से बंद पड़ा है। मेला समिति ने कई बार सुझाव दिया कि रेलवे इसे नए स्वरूप में शुरू कर सकता है, लेकिन झांसी मंडल से कोई औपचारिक स्वीकृति नहीं मिली। परिवार आज भी बाल रेल के पुराने दिनों को याद करते हैं, जो बच्चों के लिए केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक रोमांच भी था।


बाल रेल का गौरवमयी इतिहास


ग्वालियर व्यापार मेले में बाल रेल का इतिहास बहुत पुराना और गौरवपूर्ण है। इसकी शुरुआत 1982 में हुई थी और यह हमेशा से मेले के सैलानियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण रही है। छोटी रेल के डिब्बे और सजाए हुए ट्रैक मेले के माहौल में उत्साह भर देते थे। बच्चे अक्सर मेले में आने का मुख्य कारण बाल रेल को मानते थे।


हर साल मेला शुरू होने से पहले, प्राधिकरण और जनप्रतिनिधि रेलवे अधिकारियों से बाल रेल को फिर से शुरू करने का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन अब तक इसका संचालन नहीं हो पाया है।


ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन की भूमिका

ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन करती थी संचालन


झांसी मंडल के डीआरएम कार्यालय के अधीन ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन बाल रेल का संचालन करती थी, लेकिन हादसे के बाद इस एसोसिएशन ने भी जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा मानकों के अनुसार इसे फिर से शुरू करने के लिए आवश्यक तकनीकी सुधार और निगरानी इस समय उपलब्ध नहीं है।


प्राधिकरण का बयान

इनका कहना है


“हमने रेलवे से अपनी जमीन का आधिपत्य लेने के लिए पत्र लिखा है, क्योंकि वर्तमान में हमारी जमीन अभी रेलवे के पास है।”


– सुनील त्रिपाठी, सचिव, ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण