क्वाड की बैठक पर संकट: क्या भारत में नहीं होगी मीटिंग?

डोनाल्ड ट्रंप के फैसले और क्वाड का भविष्य
अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐसे निर्णय लिए हैं, जिन्होंने वैश्विक जियोपॉलिटिक्स को नया मोड़ दिया है। हालांकि, समय के साथ संबंधों में बदलाव आना स्वाभाविक है, लेकिन इतनी तेजी से बदलाव की उम्मीद किसी ने नहीं की थी। 2019 में, क्वाड को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे, जिसमें ट्रंप ने जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की बात की थी। इन देशों ने मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने का संकल्प लिया था। लेकिन अब क्वाड की बैठक को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट
साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने इस विषय पर चर्चा को और बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि स्थिति इसी तरह बनी रही, तो इस वर्ष भारत में क्वाड की बैठक नहीं हो पाएगी। इसका मतलब यह हो सकता है कि मीटिंग को स्थानांतरित या स्थगित किया जाएगा।
क्वाड का इतिहास और उद्देश्य
29 दिसंबर 2004 को, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य सुनामी प्रभावित लोगों की सहायता करना था। इस मिशन के बाद, 2007 में क्वाड का गठन हुआ, जिसका मुख्य लक्ष्य चीन के विस्तारवाद पर रोक लगाना था।
भारत की अध्यक्षता और संभावित परिणाम
इस वर्ष क्वाड की अध्यक्षता भारत के पास है, जिसका मतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को भारत आना था। इसके अलावा, जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों को भी इस सम्मेलन में भाग लेना था। लेकिन पहले 200 दिनों में कुछ ऐसा हुआ कि क्वाड के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदल गया। जिस क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ क्वाड खड़ा था, आज वही क्वाड संकट में है।
चीन की प्रतिक्रिया
इस लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि बीजिंग इस स्थिति को संतोष के साथ देख रहा होगा, क्योंकि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने वाले इस नाजुक गठबंधन को कमजोर करने के करीब पहुँच गए हैं। भारत और जापान, जो वाशिंगटन के दो प्रमुख क्षेत्रीय साझेदार हैं, के साथ संबंधों में तनाव का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है।