असम में सियासी विवाद: सैयदा हमीद के बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं

सियासी विवाद की शुरुआत
गुवाहाटी, 25 अगस्त: असम में पूर्व योजना आयोग की सदस्य सैयदा हमीद के एक बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि "बांग्लादेशी नागरिक भी असम में रह सकते हैं।" इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों से तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं।
मुख्यमंत्री का कड़ा जवाब
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हमीद के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, उन्हें अवैध घुसपैठ को वैध ठहराने का आरोप लगाया। उन्होंने एक लोकप्रिय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर लिखा, "हमीद, जो गांधी परिवार की करीबी हैं, केवल जिन्ना के सपने को साकार करने की कोशिश कर रही हैं। आज असम की पहचान संकट में है, और ऐसे लोगों के समर्थन से। लेकिन हम लचित बरफुकन के संतान हैं — हम अपने राज्य और पहचान की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।"
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
असम जातीय परिषद (AJP) ने भी हमीद के बयान की निंदा की। पार्टी के अध्यक्ष लुरिंज्योति गोगोई ने इसे "पूरी तरह अस्वीकार्य" बताया और असम समझौते के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "विदेशियों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए। असम विदेशी लोगों के लिए चरागाह नहीं है।"
असम छात्र संघ (AASU) के अध्यक्ष उत्पल सरमा ने भी आलोचना की, यह कहते हुए कि हमीद के बयान ने असम आंदोलन के दौरान लोगों द्वारा किए गए बलिदानों का अपमान किया है।
कानूनी कार्रवाई की मांग
भाजपा के प्रवक्ता रंजीब कुमार शर्मा ने हमीद और आयोजकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की, यह कहते हुए कि "हमीद का बयान न केवल असम के खिलाफ है, बल्कि संविधान के भी।"
विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने भी हमीद के बयान की आलोचना की और कहा कि यह नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन के संदर्भ में आया है।
आयोजकों का स्पष्टीकरण
इस विवाद के बीच, असम नागरिक सम्मेलन (ANS) ने हमीद के बयान को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया। नेताओं अजीत कुमार भुइयां और परेश मलाकर ने कहा कि यह टिप्पणी हमीद की व्यक्तिगत राय थी और ANS से इसका कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा, "हमारा विदेशियों के प्रति रुख स्पष्ट है। असम समझौता पवित्र है। हम 25 मार्च 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वालों के निर्वासन की मांग करते हैं।"
विवाद का प्रभाव
यह विवाद असम की जनसंख्या संबंधी चिंताओं और असम समझौते के कार्यान्वयन पर फिर से बहस को जन्म दे रहा है, जिसमें विभिन्न दलों के नेता इस मुद्दे पर निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।