दो मुंहे सांप की बढ़ती मांग और तस्करी का सच

इस लेख में हम दो मुंहे सांप, विशेषकर सेंड बोआ स्नेक की बढ़ती मांग और तस्करी के बारे में चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे ये सांप औषधियों में उपयोग होते हैं और किस प्रकार इनकी तस्करी की जाती है। इसके अलावा, सांप की असली पहचान और इसके उपयोग के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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सांपों की अद्भुत दुनिया

सांपों को देखकर अक्सर लोगों के मन में यह धारणा बनती है कि ये बेहद जहरीले होते हैं और इनके डंसने पर जान को खतरा हो सकता है। हालांकि, कुछ सांप ऐसे भी हैं जो तंत्र विद्या और औषधियों के निर्माण में उपयोगी होते हैं। विशेष रूप से, दो मुंहे सांप की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है, जिसके चलते इनकी कीमत करोड़ों तक पहुंच जाती है।


सेंड बोआ स्नेक की पहचान

उत्तर प्रदेश के मेरठ में सेंड बोआ स्नेक की अच्छी खासी संख्या पाई जाती है। हस्तिनापुर से गढ़मुक्तेश्वर तक का गंगा किनारे का क्षेत्र रेतीला है, जहां ये सांप निवास करते हैं। चूंकि ये जीव कम मात्रा में मिलते हैं, इन्हें पकड़ना या बेचना गैरकानूनी है, इसलिए इनकी तस्करी छिपकर की जाती है।


सांप की विशेषताएँ

दो मुंहे सेंड बोआ का रंग मटमैला और हल्का पीला होता है। इसे खोजना आसान नहीं है, क्योंकि ये गंगा नदी के किनारे की गहरी जमीन में छिपे रहते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए कई दिनों तक मेहनत करनी पड़ती है। एक सपेरे ने बताया कि खादर क्षेत्र में मिलने वाला मटमेला सांप उपयोगी नहीं होता, लेकिन इसकी मांग बहुत अधिक है। इसके विपरीत, गहरे लाल रंग का बोआ स्नेक अधिक मूल्यवान होता है।


दवाईयों में उपयोग

सेंड बोआ स्नेक का सबसे अधिक उपयोग दवाई बनाने वाली कंपनियों द्वारा किया जाता है, जो इसे सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाओं में इस्तेमाल करती हैं। कुछ लोग इसे एड्स के इलाज के लिए भी उपयोग करते हैं। इसके अलावा, तांत्रिक क्रियाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है। सांप की मोटी चमड़ी का उपयोग महंगे चमड़े के सामान जैसे जूते, पर्स, बेल्ट और जैकेट बनाने में किया जाता है।


तस्करी का नेटवर्क

यह सांप केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बंगाल में भी पाए जाते हैं। यहां से इनकी तस्करी की जाती है। सांप पकड़ने वाले सपेरों को कुछ लाख रुपए मिलते हैं, जबकि बड़े शहरों में एजेंट्स इन्हें विदेशों में करोड़ों में बेचते हैं। चीन और अमेरिका जैसे देशों में इनकी भारी मांग है। वन विभाग इस पर नजर रखता है और कई बार सपेरों को तस्करी करते हुए पकड़ा गया है।


सांप की असली पहचान

हालांकि सेंड बोआ स्नेक को दो मुंहा सांप कहा जाता है, लेकिन वास्तव में इसका मुंह एक ही होता है। इसकी पूंछ पीछे की ओर होती है, जो मुंह जैसी दिखती है। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस सांप में जहर नहीं होता।