अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप से एच-1बी वीज़ा शुल्क वापस लेने की अपील की
एच-1बी वीज़ा पर नई फीस का विरोध
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हाल ही में एच-1बी वीज़ा पर लागू की गई $100,000 (लगभग ₹83 लाख) की नई फीस को वापस लेने की मांग का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, कुछ अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति से इस निर्णय को रद्द करने की गुजारिश की है। उनका तर्क है कि सख्त वीज़ा नीतियां अमेरिका की तकनीकी प्रगति को बाधित कर सकती हैं और भारत के साथ संबंधों को भी प्रभावित कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में जारी किए गए एच-1बी वीज़ा का 71% हिस्सा भारतीयों के पास है, जबकि चीन दूसरे स्थान पर है.
सांसदों की ट्रंप को चिट्ठी
अमेरिकी सांसद जिम्मी पनेटा, अमी बेरा, सलूड कार्बाजल और जूली जॉनसन ने राष्ट्रपति ट्रंप को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने 19 सितंबर को जारी किए गए आदेश 'Certain Nonimmigrant Workers पर प्रतिबंध' को निलंबित करने की मांग की। ट्रंप के इस आदेश में नए एच-1बी आवेदनों पर $100,000 की भारी फीस लगाने का प्रस्ताव है, साथ ही विदेशी छात्रों की संख्या को 15% तक सीमित करने का भी सुझाव दिया गया है। सांसदों ने चेतावनी दी है कि यह कदम अमेरिका की नवाचार प्रणाली को कमजोर कर सकता है और भारत के साथ आर्थिक और रणनीतिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
भारतीय पेशेवरों का योगदान
सांसदों ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि हाल ही में भारत की यात्रा के दौरान उन्हें यह समझ में आया कि एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और भारतीय-अमेरिकी समुदायों के साथ संबंधों को भी मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की कई प्रमुख कंपनियों की स्थापना या संचालन एच-1बी वीज़ा धारकों द्वारा किया गया है। ये पेशेवर नए व्यवसाय, रोजगार और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देते हैं, जिससे अमेरिका तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है.
प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता
पत्र में यह भी बताया गया कि पिछले वर्ष एच-1बी वीज़ा धारकों में 71% भारतीय थे, जो अमेरिका के आईटी और एआई क्षेत्र की रीढ़ माने जाते हैं। सांसदों ने कहा कि जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नई तकनीकों में तेजी से निवेश कर रहा है, तब अमेरिका को दुनिया की बेहतरीन प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता है, न कि उन्हें रोकने की। उन्होंने एच-1बी वीज़ा प्रणाली को अमेरिका की विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) प्रतिस्पर्धा का मुख्य आधार बताया और कहा कि रिसर्च से यह साबित हुआ है कि एच-1बी पेशेवर नवाचार, पेटेंट निर्माण और व्यवसाय वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, न कि अमेरिकी नौकरियों को छीनते हैं.
भारत-अमेरिका संबंधों में एच-1बी की भूमिका
सांसदों ने कहा कि एच-1बी कार्यक्रम केवल श्रम की आवश्यकता को पूरा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की तकनीकी बढ़त को सुरक्षित करता है, जो भविष्य में वैश्विक शक्ति संतुलन को निर्धारित करेगा। कांग्रेसमैन जिम्मी पनेटा ने कहा कि एच-1बी वीज़ा प्रणाली ने अमेरिका की नवाचार कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज जब एआई तेजी से विकसित हो रहा है, इस कार्यक्रम की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को सीमित नहीं, बल्कि बेहतर और व्यापक बनाया जाना चाहिए, ताकि यह कुछ गिने-चुने अमीर कॉरपोरेट्स तक सीमित न रह जाए.
