सुप्रीम कोर्ट में ग्रीन पटाखों के लिए 2 घंटे की अनुमति की मांग

दिल्ली-एनसीआर में दीवाली पर ग्रीन पटाखों के उपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। एनसीआर के राज्यों ने 2 घंटे के लिए ग्रीन पटाखे छोड़ने की अनुमति की मांग की है। इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की अपील की गई है। जानें इस सुनवाई में क्या-क्या दलीलें दी गईं और अदालत का क्या रुख है।
 | 
सुप्रीम कोर्ट में ग्रीन पटाखों के लिए 2 घंटे की अनुमति की मांग

सुप्रीम कोर्ट में ग्रीन पटाखों पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में ग्रीन पटाखों के लिए 2 घंटे की अनुमति की मांग

ग्रीन पटाखे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई


दिल्ली-एनसीआर में दीवाली के अवसर पर ग्रीन पटाखों के उपयोग पर लगी रोक को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। एसजी तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाए। एनसीआर के राज्यों ने सुझाव दिया है कि दीवाली पर ग्रीन पटाखों को छोड़ने की अनुमति दी जाए, जिसमें 2 घंटे की सख्त अनुमति शामिल होनी चाहिए।


इन राज्यों ने अदालत को बताया कि पटाखे छोड़ने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी जा सकती है, जिसमें यह भी शामिल है कि केवल NEERI द्वारा अनुमोदित ग्रीन पटाखे ही बेचे जाएंगे। उनका कहना है कि दीवाली पर रात 8 बजे से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।


आज शुक्रवार को ग्रीन पटाखों की मंजूरी पर सुनवाई शुरू हुई। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अदालत को इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि एनसीआर में पटाखे और लड़ियां नहीं बन रही हैं और न ही ई-कॉमर्स के माध्यम से बेची जा रही हैं। दिल्ली के अलावा एनसीआर के अन्य राज्यों ने भी इस पर प्रतिबंध लगा रखा है।


मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि दीवाली के दौरान कुछ लोग सुबह पूजा करते हैं और पटाखे भी जलाते हैं। इस पर एसजी ने कहा कि नरक चतुर्दशी के दिन भी ऐसा होता है। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले पटाखा निर्माण स्थलों को तुरंत सील कर दिया जाएगा।


एसजी मेहता ने अदालत में कहा कि लोगों का अधिकार है कि वे अपने त्योहार मनाएं। यह नियम दीवाली, क्रिसमस और गुरु पर्व सभी के लिए लागू होंगे। लोगों के जश्न मनाने के अधिकार को शुद्ध हवा के अधिकार के साथ संतुलित किया जाएगा।


सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने कहा कि केवल पटाखों से ही हवा प्रदूषित नहीं होती, बल्कि पराली और वाहनों के प्रदूषण के लिए भी अदालत ने कई आदेश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ग्रीन पटाखों और उद्योगों के लिए फॉर्मूलेशन में भारी धनराशि खर्च की गई है।