प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर जनक पलटा मगिलिगन का संदेश

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में संवाद
जनक पलटा मगिलिगन ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका है इसका उपयोग न करना।
जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने पर्यावरण पर एक सप्ताह भर चलने वाले संवाद का आयोजन किया, जिसका विषय यूएनईपी द्वारा 2025 के लिए निर्धारित किया गया था। यह कार्यक्रम विश्व पर्यावरण दिवस के सातवें दिन जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन ने बहाई प्रार्थना से की। उन्होंने बताया कि 1992 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के पृथ्वी सम्मेलन में भाग लेने के बाद उन्होंने सस्टेनेबल डेवलपमेंट के बारे में जाना और इंदौर के जल निकायों की स्थिति को देखकर सस्टेनेबल जीवनशैली अपनाई। उन्होंने बंजर भूमि पर काम करते हुए जीरो वेस्ट और प्लास्टिक फ्री वातावरण बनाने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग बंद करना ही समाधान है, और स्टील के गिलास, बोतल और कपड़े के थैले का उपयोग करना पर्यावरण की रक्षा के लिए पहला कदम है।
उन्होंने अपनी परिभाषा साझा की, "मैं सभी प्राणियों के साथ सद्भाव में जीवन जीकर विश्व का कल्याण करना चाहती हूँ।" इसके लिए वैश्विक दृष्टिकोण से सोचते हुए स्थानीय स्तर पर कार्य करने का संकल्प लिया।
हृदय विशेषज्ञ डॉ. भरत रावत ने "शंखनाद" करने के बाद कहा कि हमें सादगी से जीवन जीने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सीमित आवश्यकताएँ ही संतोष देती हैं और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करती हैं।
कार्यक्रम में नित्या बत्रा ने एक कथक नृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें प्रदूषण और पर्यावरण के क्षरण के कारण माँ प्रकृति की पीड़ा को दर्शाया गया।
वरुण रहेजा ने अपनी इंटर्नशिप के दौरान डॉ. जनक पलटा मगिलिगन से सोलर ड्रायर के बारे में सीखने के लिए आभार व्यक्त किया और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।
श्रीमती शुभा चटर्जी ने बायोटेक्नोलॉजी में अपने अनुभव साझा किए और प्लास्टिक कचरे को कम करने की पहल की।
वैद्य शेफाली ने समाज में बर्तन बैंक की स्थापना और डिस्पोजेबल का उपयोग न करने के संकल्प के बारे में बताया।
प्रोफेसर राजीव संगल ने प्लास्टिक बोतलों का उपयोग न करने की पहल साझा की और कहा कि मानसिकता में बदलाव से ही पर्यावरण संरक्षण संभव है।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अनुराग शुक्ला ने कहा कि सस्टेनेबिलिटी पैसे से नहीं खरीदी जा सकती, और हमें बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मुख्य अतिथि, प्रसिद्ध हिंदी क्रिकेट कमेंटेटर श्री सुशील दोशी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि सामूहिक प्रयास से ही पर्यावरण की रक्षा संभव है।
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री वीरेंद्र गोयल ने प्लास्टिक कचरे को कम करने की शपथ के साथ धन्यवाद किया।