अर्जुन वृक्ष: हृदय स्वास्थ्य के लिए अद्भुत औषधि
अर्जुन का वृक्ष और उसकी औषधीय उपयोगिता
प्राचीन आयुर्वेद में अर्जुन वृक्ष का उपयोग हृदय रोगों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। इसकी छाल को औषधि के रूप में विभिन्न तरीकों से जैसे चूर्ण, काढा, क्षीर पाक और अरिष्ट के रूप में लिया जाता है।
अर्जुन की छाल का महत्व
इसकी छाल और फल का औषधीय उपयोग अत्यधिक होता है। अर्जुन की छाल में लगभग 20-24% टैनिन मौजूद होता है। इसके अलावा, इसमें बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, ट्राईहाइड्रोक्सी ट्राईटरपीन, मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड और अर्जुनिक एसिड जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। इसके साथ ही, इसमें पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नेशियम जैसे खनिज भी होते हैं।
अर्जुन की छाल के अद्भुत गुण
अर्जुन की छाल को हटाने पर यह पुनः उग आती है, जिसके लिए इसे कम से कम दो वर्ष लगते हैं। एक पेड़ में यह छाल तीन साल के चक्र में मिलती है। इसकी छाल सफेद रंग की होती है, जबकि अंदर से यह चिकनी और हल्के गुलाबी रंग की होती है। इसका स्वाद कसैला और तीखा होता है, और इसे गोदने पर दूध जैसा तरल निकलता है।
हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के लाभ
यह हृदय रोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह अनियमित धड़कनों को नियंत्रित करती है और हृदय की सूजन को कम करती है। अर्जुन की छाल और जंगली प्याज का चूर्ण बनाकर, इसे दूध के साथ लेने से हृदय संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। यह दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और हृदय की ब्लॉकेज में भी मददगार है।
अर्जुन की छाल की चाय और उच्च रक्तचाप
अर्जुन की छाल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करती है। इसके सेवन से एनजाइना के दर्द में भी कमी आती है। बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए, 1 चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर 2 गिलास पानी में उबालें और इसे सुबह-शाम पिएं। इससे रक्त प्रवाह में सुधार होता है और हृदय स्वास्थ्य में लाभ मिलता है।