हरियाणा की मजार: जहां लोग चढ़ाते हैं घड़ियां

हरियाणा के अंबाला में एक अनोखी मजार है जहां लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर घड़ियां चढ़ाते हैं। इस परंपरा के पीछे कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक यह है कि पीर बाबा समय के प्रति सजग थे। मजार हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी है। जानें इस मजार की विशेषताओं और इसके रखरखाव के बारे में।
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हरियाणा की मजार: जहां लोग चढ़ाते हैं घड़ियां

घड़ियों की अनोखी परंपरा


भारत अपने अनोखे धार्मिक विश्वासों के लिए जाना जाता है। यहां कई मंदिर, गुरुद्वारे और मजारें हैं, जहां लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर विभिन्न प्रकार के चढ़ावे चढ़ाते हैं।


हरियाणा के अंबाला दिल्ली नेशनल हाईवे पर एक विशेष मजार है, जहां लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर घड़ियां चढ़ाते हैं। जी हां, इस मजार पर लोग पीर बाबा को घड़ी चढ़ाते हैं।


यहां घड़ियों के चढ़ावे के पीछे दो प्रमुख मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार, जिंद पीर बाबा का यह मजार है, जो समय के प्रति बहुत सजग थे। दूसरी मान्यता यह है कि हाईवे पर चलने वाले ड्राइवरों को समय और सुरक्षित यात्रा की चिंता होती है।


इसलिए, लोग घड़ी चढ़ाकर दुआ करते हैं कि वे समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच जाएं।


इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि यह मजार हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। मजार के पास एक शिव मंदिर भी है। यह मजार नौ गजा पीर सैयद इब्राहिम बादशाह की है, जो इराक से आए थे और शाहबाद मारकंडा के कल्याण गांव में निवास करते थे। उनका कद 8 गज था, जो भारतीय माप के अनुसार 8 मीटर 36 इंच होता है। पंजाब में नौ गजा मजार की कई शाखाएं हैं।


इस मजार की देखरेख का जिम्मा रेड क्रॉस एजेंसी के पास है। यहां इतनी घड़ियां चढ़ती हैं कि रेड क्रॉस को उन्हें बेचना पड़ता है, और उन पैसों से मजार की देखरेख की जाती है और सेवा करने वालों को वेतन दिया जाता है। यहां हर हफ्ते गुरुवार और रविवार को मेला भी लगता है।