संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए विशेष शिविरों का आयोजन

हरियाणा में संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। संस्कृतभारती द्वारा आयोजित ये शिविर विद्यार्थियों को संस्कृत बोलने और लिखने में सक्षम बनाने के लिए तैयार किए गए हैं। अम्बाला और झज्जर में होने वाले इन शिविरों में भाग लेने वाले छात्र भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ने का अवसर प्राप्त करेंगे। जानें इन शिविरों की विशेषताएँ और कैसे ये संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ाते हैं।
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संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए विशेष शिविरों का आयोजन

संस्कृत का महत्व और संरक्षण

संस्कृत भारतीय ज्ञान की आधारशिला है, जिसमें समस्त ज्ञान और विज्ञान समाहित है। वर्तमान सरकार भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसके तहत नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत के प्रचार-प्रसार को विशेष महत्व दिया गया है। संस्कृतभारती, एक सामाजिक संगठन, न केवल भारत में बल्कि 28 देशों में संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए कार्यरत है। यह संगठन विदेशों और भारत के विभिन्न राज्यों में संस्कृत संवाद प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करता है, जिसमें भाग लेने वाले छात्र मात्र दस दिन में संस्कृत बोलने और लिखने में सक्षम हो जाते हैं। 


हरियाणा में संस्कृत प्रबोधन शिविर

संस्कृतभारती के हरियाणा प्रांत के प्रशिक्षण प्रमुख, ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि इस बार अम्बाला के नारायणगढ़ और झज्जर के बेरी में दो आवासीय संस्कृत प्रबोधन वर्गों का आयोजन किया जा रहा है। नारायणगढ़ में यह शिविर 13 से 21 जून तक श्रीमद्भगवद्गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में होगा, जिसमें अम्बाला, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, करनाल, पानीपत, कैथल और हिसार के छात्र भाग लेंगे। इस वर्ग का मार्गदर्शन उत्तर क्षेत्र के गीता शिक्षण प्रमुख डॉ. जोगेन्द्र सिंह करेंगे। दूसरा शिविर झज्जर में 21 से 29 जून तक लाला दयाराम तिगड़ानिया सरस्वती-शिशुमन्दिर में आयोजित होगा, जिसमें गुरुग्राम, सिरसा, फरीदाबाद और पटौदी के प्रतिभागी शामिल होंगे. 


शिविरों की विशेषताएँ

प्रांताध्यक्ष डॉ. सोमेश्वर दत्त ने बताया कि ये संस्कृत प्रशिक्षण शिविर ग्रीष्मकालीन अवकाशों में आयोजित किए जाते हैं, ताकि विद्यार्थियों का समय सही तरीके से उपयोग हो सके। शिविर में सुबह से शाम तक संस्कृत का वातावरण रहता है, और व्यावहारिक संस्कृत व्याकरण का ज्ञान भी दिया जाता है। भाग लेने वाले छात्र कुछ ही दिनों में संस्कृत बोलने में सक्षम हो जाते हैं, जिससे उनकी लेखन कौशल में भी सुधार होता है। प्रतिभागियों में संस्कृत के प्रति रुचि जागृत होती है, जिससे वे भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित शास्त्रों का अध्ययन कर पाते हैं. 


दिल्ली में प्रशिक्षण शिविर

संस्कृतभारती द्वारा 07 जून से दिल्ली में क्षेत्रीय संस्कृत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि जो छात्र पहले संस्कृत प्रबोधन वर्ग कर चुके हैं, वे 07 से 18 जून तक इस प्रशिक्षण वर्ग में भाग ले सकते हैं। इस शिविर में 200 से अधिक प्रतिभागी जम्मू, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से शामिल होंगे। हरियाणा के विभिन्न जिलों से 60 प्रतिभागी इस शिविर में भाग लेकर संस्कृत का प्रचार-प्रसार करेंगे, जिसमें हिसार और कैथल के छात्र शामिल हैं.