वाराणसी में दीपावली का अनोखा जश्न: मुस्लिम महिलाओं ने किया श्रीराम की आरती

वाराणसी में दीपावली का जश्न एक अनोखे अंदाज में मनाया गया, जहां मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की आरती की। उन्होंने रंगोली बनाई और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया। इस आयोजन के पीछे का उद्देश्य साझा संस्कृति को उजागर करना है। जानें इस विशेष जश्न के बारे में और कैसे यह एकता का प्रतीक बना।
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वाराणसी में दीपावली का अनोखा जश्न: मुस्लिम महिलाओं ने किया श्रीराम की आरती

दीपावली का जश्न

वाराणसी में दीपावली का उत्सव एक विशेष तरीके से मनाया गया। यहां की मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की आरती की। इसके साथ ही, उन्होंने रंगोली बनाई, भगवान राम की मूर्ति को फूलों से सजाया और पूरे उत्साह के साथ आरती की। इन महिलाओं का मानना है कि राम नाम का दीप जलाकर दुनिया से नफरत का अंधेरा दूर किया जा सकता है।


सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश

साल 2006 में हुए बम विस्फोट के बाद से, मुस्लिम महिलाएं हर साल भगवान श्रीराम की आरती करके सांप्रदायिक सद्भाव और एकता का संदेश देती आ रही हैं। उन्होंने दीपावली मनाकर गंगा-जमुनी तहजीब का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका कहना है कि हम सभी एक हैं और हमारी संस्कृति भी एक है। हमें मिलकर सभी त्योहार मनाने चाहिए और भाईचारा बनाए रखना चाहिए।


हम सब प्रभु राम के वंशज

इन मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वे पिछले बीस वर्षों से दीपावली पर गंगा-जमुनी संदेश दे रही हैं। नजमा परवीन ने बताया कि उन्होंने प्रभु श्रीराम और माता जानकी की आरती की। उनका उद्देश्य यह है कि देश को दिखाएं कि हमारी साझा संस्कृति और विरासत है। प्रभु श्रीराम हम सभी के हैं, और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।


संस्कृति की ओर लौटना

जौनपुर के मोहम्मद शहाबुद्दीन जोसफ तिवारी ने बताया कि उनके पूर्वज आठ पीढ़ी पहले औरंगजेब के अत्याचारों के कारण धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर हुए थे। बटुक तिवारी ने इस्लाम कबूल किया था, लेकिन अब वे अपनी पुरानी संस्कृति की ओर लौट रहे हैं। आज, आठ पीढ़ी बाद, दीपावली मनाना और श्रीराम की आरती करना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जो लोग नफरत फैलाते हैं, वे खुद 72 फिरकों में बंटे हुए हैं।