रामायण कथा: जटायु नहीं, बल्कि कौन था वह पक्षी जिसने सीता माता का पता बताया?

रामायण कथा में जटायु और संपाती की महत्वपूर्ण भूमिका है। रावण द्वारा माता सीता के अपहरण के बाद, जटायु ने रावण का सामना किया, लेकिन उसकी मृत्यु के बाद संपाती ने माता सीता का स्थान बताया। जानें इस कथा के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 | 
रामायण कथा: जटायु नहीं, बल्कि कौन था वह पक्षी जिसने सीता माता का पता बताया?

रामायण कथा

रामायण कथा: जटायु नहीं, बल्कि कौन था वह पक्षी जिसने सीता माता का पता बताया?

रामायण कथा


रामायण कथा: रावण, जो तीनों लोकों का सम्राट था, अपनी शक्ति पर अत्यधिक गर्वित हो गया था। उसने अपनी बहन शूर्पणखा की नाक काटने का प्रतिशोध लेने के लिए माता सीता का अपहरण किया।


जब रावण माता सीता को लंका ले गया, तब भगवान राम और लक्ष्मण अत्यंत चिंतित हो गए। वे माता सीता की खोज में जुट गए। इसी दौरान, एक पक्षी ने उन्हें सीता माता का स्थान बताया। यह पक्षी जटायु था, जो रावण के हाथों से माता सीता को बचाने की कोशिश कर रहा था।


जटायु और रावण का संघर्ष

जटायु ने रावण को रोकने का प्रयास किया और उनके बीच युद्ध छिड़ गया। जटायु ने माता सीता को बचाने के लिए रावण पर हमला किया, लेकिन रावण ने उसके पंख काट दिए, जिससे वह गिर पड़ा। मृत्यु से पहले, जटायु ने भगवान राम और लक्ष्मण को बताया कि रावण माता सीता को ले गया है।


हालांकि, वह यह नहीं बता सके कि रावण माता सीता को कहाँ ले गया। जब जामवंत, अंगद और हनुमान जी माता सीता की खोज में थे, तब उन्होंने पर्वत पर एक विशाल पक्षी देखा, जो जटायु का भाई संपाती था। जामवंत ने संपाती को राम की व्यथा सुनाई और हनुमान जी ने संपाती को पूरी घटना बताई।


संपाती ने माता सीता का स्थान बताया

जटायु की मृत्यु की खबर सुनकर संपाती ने अपनी दृष्टि को चारों ओर घुमाना शुरू किया। उनकी दृष्टि बहुत तेज थी और वे दूर-दूर तक देख सकते थे। संपाती ने देखा कि रावण माता सीता को लंका ले गया है। उन्होंने जामवंत और हनुमान जी को यह जानकारी दी और बताया कि लंका जाने के लिए उन्हें विशाल समुद्र पार करना होगा।


ये भी पढ़ें: Margashirsha Amavasya 2025: कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? जानें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि