मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती: उनके पसंदीदा गाने और यादें

मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती पर, हम उनके प्रिय गानों और उनके बेटे शाहिद रफी के साथ एक विशेष बातचीत का जिक्र कर रहे हैं। जानें रफी के पसंदीदा गाने और उनकी यादें, जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसी हुई हैं। इस लेख में रफी की जयंती के अवसर पर उनके जीवन और संगीत के बारे में रोचक जानकारी प्रस्तुत की गई है।
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मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती: उनके पसंदीदा गाने और यादें

मोहम्मद रफी की जयंती

मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती: उनके पसंदीदा गाने और यादें


मोहम्मद रफी की बर्थ एनिवर्सरी




मोहम्मद रफी की जयंती: मोहम्मद रफी का नाम भारतीय संगीत में अमर है। उन्होंने 45 साल पहले इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनकी मधुर आवाज और बेहतरीन गाने आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। आज उनकी 101वीं जयंती है। इस अवसर पर हम उनके तीन पसंदीदा गानों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनमें से एक देवी राधा से संबंधित है।


मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था। 13 साल की उम्र में, 1937 में, उन्होंने लाहौर में ऑल इंडिया एग्जीबिशन में अपने करियर की पहली परफॉर्मेंस दी। उन्होंने अपने जीवन में हजारों गाने गाए। क्या आप जानते हैं कि उनके कौन से तीन गाने सबसे प्रिय थे? उनके बेटे शाहिद रफी ने इस बारे में एक इंटरव्यू में जानकारी दी थी।


देवी राधा से जुड़ा मोहम्मद रफी का पसंदीदा गाना


शाहिद ने अपने पिता के बारे में कहा कि रफी एक विनम्र और साधारण इंसान थे। उन्होंने बताया कि उनके पिता के तीन पसंदीदा गाने थे, जिन्हें वह हर कॉन्सर्ट में गाते थे। शाहिद के अनुसार, ये गाने थे: फिल्म ‘बैजू बावरा’ का ‘ओ दुनिया के रखवाले’, फिल्म ‘दुलारी’ का ‘सुहानी रात ढल चुकी’, और फिल्म ‘कोहिनूर’ का ‘मधुबन में राधिका नाचे रे’।


मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती: उनके पसंदीदा गाने और यादें


मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी



उन्होंने यह भी कहा कि ये गाने उनके पिता के लिए विशेष थे और उन्होंने हमेशा इन्हें गाया।


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‘हमारे लिए वो सिर्फ पिता थे’


शाहिद ने यह भी बताया कि उनके लिए मोहम्मद रफी केवल उनके पिता थे। उन्हें कभी एहसास नहीं हुआ कि उनके पिता कितने बड़े कलाकार थे। उन्होंने कहा, 'जब उनका निधन हुआ, तब हमें समझ आया कि वह कितनी बड़ी शख्सियत थे।' मोहम्मद रफी का निधन 31 जुलाई 1980 को मुंबई में हुआ था।