मार्गशीर्ष अमावस्या: पवित्र कथा और इसके महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या की कथा
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मार्गशीर्ष अमावस्या 2025: पंचांग के अनुसार, 20 नवंबर 2025, गुरुवार को मार्गशीर्ष मास की अमावस्या है। यह तिथि आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ और विशेष कथा का आयोजन किया जाता है, जिससे देवताओं की कृपा और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व: श्री कृष्ण का संदेश
मार्गशीर्ष मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है: “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” यानी ‘महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ।’ इस प्रकार, इस माह की दिव्यता और महत्व स्पष्ट होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या इस महीने की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है, जिस दिन स्नान, दान और व्रत करने से अक्षय फल प्राप्त होते हैं और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है.
इस अमावस्या का विशेष महत्व
पितृ दोष निवारण: यह दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
भगवान विष्णु की कृपा: इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
सौभाग्य की प्राप्ति: व्रत और कथा पाठ से पति, संतान और धन से संबंधित सभी समस्याएं दूर होती हैं.
मार्गशीर्ष अमावस्या की पावन कथा: ‘सोना धोबिन’ की कहानी
मार्गशीर्ष अमावस्या की व्रत कथा में ‘सोना धोबिन’ और एक ब्राह्मण कन्या की कहानी बहुत प्रसिद्ध है, जिसका पाठ करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और कन्या के साथ रहते थे। उनकी कन्या में सभी गुण थे, लेकिन उसके हाथ में विवाह की रेखा नहीं थी। एक बार साधु महाराज उनके घर आए, जिन्होंने कन्या की सेवा से प्रसन्न होकर उसे लंबी आयु का आशीर्वाद दिया, लेकिन यह भी बताया कि विवाह के बाद वह शीघ्र ही विधवा हो जाएगी.
यह सुनकर ब्राह्मण दंपति बहुत दुखी हुए। साधु ने उपाय बताया कि सोमवार की अमावस्या को यदि सोना धोबिन नामक पतिव्रता स्त्री अपनी माँग का सिन्दूर इस कन्या की माँग में लगा दे, तो इसका वैधव्य योग टल जाएगा.
सोना धोबिन बहुत दूर रहती थी। ब्राह्मण कन्या ने बिना बताए सोना धोबिन के घर जाकर उसकी सेवा करना शुरू कर दिया। वह रोज सुबह उसके घर की साफ-सफाई करती और सभी काम निपटाकर वापस आ जाती। कुछ दिनों बाद सोना धोबिन को लगा कि कोई उसके घर की सेवा करता है, लेकिन उसे पता नहीं चलता था.
एक दिन धोबिन ने छुपकर देखा तो उस कन्या को पकड़ लिया। पूछने पर कन्या ने साधु की बताई सारी बात बता दी। सोना धोबिन पति परायण थी और उसका तेज असाधारण था। वह उस कन्या की मदद के लिए तैयार हो गई.
संयोग से, अगले दिन सोमवार की अमावस्या थी। सोना धोबिन ने जैसे ही कन्या की मांग में अपना सिन्दूर लगाया, उसी क्षण उसका पति मर गया। धोबिन ने जल भी नहीं पिया था, उसने तुरंत पास के पीपल के पेड़ के नीचे 108 बार भंवरी (परिक्रमा) दी और “सत्य, संतोष और धर्म” का स्मरण करते हुए जल ग्रहण किया। उसके पुण्य और पतिव्रता धर्म के प्रभाव से उसका पति फिर से जीवित हो गया.
इस प्रकार, सोना धोबिन के पुण्य से ब्राह्मण कन्या का वैधव्य योग टल गया और उसे अखंड सौभाग्य प्राप्त हुआ.
कथा पाठ का फल
यह माना जाता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर जो व्यक्ति इस कथा को श्रद्धापूर्वक सुनता या पढ़ता है, उसे सोना धोबिन के पुण्य का फल प्राप्त होता है। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और घर में सुख-शांति आती है.
