महिलाओं के स्वास्थ्य पर पीरियड्स का प्रभाव: एक गंभीर मुद्दा

महिलाओं के स्वास्थ्य पर पीरियड्स का प्रभाव एक गंभीर मुद्दा है, जो आज भी समाज में चर्चा का विषय है। इस लेख में, हम जानेंगे कि कैसे कई महिलाएं आज भी कपड़े का उपयोग करती हैं और इसके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, हम देखेंगे कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं किस तरह की समस्याओं का सामना कर रही हैं। क्या हालात में सुधार हो रहा है? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
 | 
महिलाओं के स्वास्थ्य पर पीरियड्स का प्रभाव: एक गंभीर मुद्दा

पहला अनुभव: पीरियड्स की शुरुआत

जब मैंने पहली बार पीरियड्स का अनुभव किया, तब मेरी उम्र 11 वर्ष थी और मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी. उस दिन मैंने एक फ्रॉक पहनी थी। खेलकर घर लौटने पर मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। जब मैंने अपने पैरों पर खून देखा, तो मैं घबरा गई और लगा कि शायद मुझे चोट लग गई है। मैं तुरंत अपनी मां के पास गई। मां ने देखा और पहले की तरह घबराई नहीं। उनके शांत रिएक्शन ने मुझे चौंका दिया, उन्होंने बताया कि अब मेरे पीरियड्स शुरू हो गए हैं और मैं बड़ी हो गई हूं। लाखों लड़कियों की तरह, मुझे भी तब समझ में आया कि पीरियड्स और मेन्स्ट्रुएशन साइकिल (Mensuration Cycle) क्या होती है।


पहली बार पैड का उपयोग

मुझे आज भी याद है, जब 2012 में मेरे पीरियड्स शुरू हुए थे, मेरी मां ने मुझे कपड़ा इस्तेमाल करने के लिए दिया था, और मुझे यह भी नहीं पता था कि इसका उपयोग कैसे करना है। उस समय मुझे यह भी नहीं पता था कि मुझे पैड की आवश्यकता है। पूरी रात मुझे नींद नहीं आई, और मैं सोचती रही कि यह क्या हो रहा है। लेकिन जैसे-जैसे मैंने चीजों को समझा, मैंने कपड़े को छोड़कर पैड का उपयोग करना शुरू कर दिया। आज कपड़े के बारे में सोचते ही मुझे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं याद आती हैं।


महिलाओं की स्थिति: क्या बदला?

महिलाओं की मजबूती से ही देश की मजबूती

2018 में आई फिल्म पैडमैन का एक डायलॉग याद है? उस समय मेरी उम्र 17 साल थी। फिल्म देखने के बाद मैंने सोचा कि यह दिखाया जाएगा कि भारत में सभी लोग पैड का उपयोग करने लगे हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ है? आज 2025 में, जब हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, क्या हालात में सुधार हुआ है? क्या महिलाएं अब भी पीरियड्स के दौरान कपड़े का उपयोग कर रही हैं? एनएफएचएस 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 15-24 वर्ष की आयु की लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं अभी भी कपड़े का उपयोग करती हैं।


कपड़े का उपयोग: स्वास्थ्य पर प्रभाव

कपड़े का उपयोग करने वाली महिलाएं

आप सोच सकते हैं कि आज की महिलाएं पैड का उपयोग करती हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते हैं। भारत के गांवों में कई महिलाएं आज भी पैड के बारे में नहीं जानती हैं। एनएफएचएस 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 64 प्रतिशत लोग सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करते हैं, जबकि 50 प्रतिशत महिलाएं कपड़े का उपयोग करती हैं।


शिक्षा की आवश्यकता

शर्म और बीमारी

फिल्म का एक डायलॉग बताता है कि महिलाएं आज भी इस विषय पर बात करने में शर्माती हैं। UN India: Managing Menstrual Hygiene की एक वीडियो में बताया गया है कि महिलाएं शर्म के कारण कपड़े का उपयोग करती हैं।


कपड़े के नुकसान

कपड़े का उपयोग: स्वास्थ्य जोखिम

कपड़े का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि कपड़े का उपयोग करने से बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है, जो बाद में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।


लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य

स्कूल छोड़ने का कारण

एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 71% किशोर लड़कियों को पीरियड्स के बारे में तब तक पता नहीं चलता जब तक कि उन्हें खुद अनुभव न हो। कई लड़कियां इस दौरान स्कूल नहीं जाती हैं।


महिलाओं की स्थिति में सुधार

सरकारी पहल

महिलाओं की मदद के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत, सैनिटरी नैपकिन न्यूनतम 1 रुपये प्रति पैड की कीमत पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।