महाशिवरात्रि 2025: दुर्लभ संयोग और पूजा विधि

महाशिवरात्रि का महत्व
विज्ञान ने सदियों से 'शिव' के अस्तित्व को समझने की कोशिश की है। जब भौतिकता का मोह समाप्त होता है और इंद्रियां भी निष्क्रिय हो जाती हैं, तब शून्यता का निर्माण होता है। जब शून्यता भी अस्तित्वहीन हो जाती है, तब शिव प्रकट होते हैं। शिव शून्य से परे हैं, और जब कोई व्यक्ति भौतिक जीवन को त्यागकर सच्चे मन से ध्यान करता है, तब वह शिव को प्राप्त करता है। महाशिवरात्रि शिव के अद्वितीय और अलौकिक रूप का उत्सव है।
भगवान शिव से जुड़ी मान्यताएं
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भगवान शिव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर आधी रात को ब्रह्मा के रुद्र रूप में प्रकट हुए थे।
तांडव और विवाह की मान्यताएं
कई मान्यताएं हैं कि इस दिन भगवान शिव ने तांडव किया और अपनी तीसरी आंख खोली, जिससे ब्रह्मांड का विनाश हुआ। इसके अलावा, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का भी उल्लेख है।
हालांकि हर महीने शिवरात्रि होती है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ होती है, जो शिव के दर्शन और पूजा कर खुद को भाग्यशाली मानते हैं।
महाशिवरात्रि पर पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिव की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न पवित्र वस्तुओं से अभिषेक करते हैं। इस दिन बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि चढ़ाए जाते हैं। भगवान शिव को भांग प्रिय है, इसलिए कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं।
महाशिवरात्रि 2025 में एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि एक साथ रहेंगे। यह संयोग 60 साल बाद बन रहा है।
महाशिवरात्रि के दिन शिव की कृपा पाने के उपाय
- महाशिवरात्रि पर ज्योतिषीय उपाय करने से समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।
- इस दिन व्रत रखने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पति मिलता है।
- शिवलिंग की पूजा से कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं।
- बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति होती है।
- धतूरे के पुष्प चढ़ाने से औषधियों का खतरा समाप्त होता है।
भगवान शिव की पूजा कैसे करें
महाशिवरात्रि पूजा विधि: भक्त को सुबह स्नान कर माथे पर भस्म का तिलक लगाना चाहिए और शिव मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
हल्दी का तिलक: शिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव को हल्दी से तिलक नहीं लगाते।
लाल फूल: शिवरात्रि पर लाल फूल नहीं चढ़ाए जाते। सफेद फूल चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
सिंदूर या कुमकुम: शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए।
तांबे का लोटा: जल चढ़ाने के लिए तांबे या पीतल के लोटे का उपयोग करें।
शंख बजाना शुभ: शंख को पूजा में बजाना शुभ माना जाता है, लेकिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।