भारतीय संस्कृति में चरण स्पर्श की परंपरा: किनसे और कब नहीं करना चाहिए

भारतीय परंपराओं का महत्व

भारतीय संस्कृति में कई प्राचीन परंपराएं आज भी जीवित हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा है चरण स्पर्श करना। यह माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर करता है, तो उसका दिन शुभ और सफल होता है।
बुजुर्गों के चरण स्पर्श का महत्व
भारतीय संस्कृति में बड़े-बुजुर्गों के चरण छूने की परंपरा शिष्टाचार और सम्मान का प्रतीक है। हालांकि, वैदिक शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि कुछ व्यक्तियों के चरण छूना वर्जित है। ऐसा करने पर व्यक्ति को पाप का भागी बनना पड़ सकता है। आइए जानते हैं किन लोगों के चरण नहीं छूने चाहिए।
मंदिर में चरण स्पर्श से बचें
जब हम मंदिर में पूजा करने जाते हैं, तो वहां किसी सम्मानित व्यक्ति के चरण छूने से बचना चाहिए। मंदिर में भगवान से बड़ा कोई नहीं होता, इसलिए वहां किसी मनुष्य के चरण छूना ईश्वर और मंदिर का अपमान माना जाता है।
सोते हुए व्यक्ति के चरण नहीं छूने चाहिए
सोते हुए व्यक्ति के चरण छूना भी वर्जित है, क्योंकि ऐसा करने से उनकी उम्र कम होने का विश्वास है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, केवल मृत व्यक्ति के चरण छूने की अनुमति होती है।
श्मशान से लौटे व्यक्ति के चरण छूने से बचें
श्मशान से लौटे व्यक्ति के चरण छूना भी उचित नहीं है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति को अशुद्ध माना जाता है। स्नान के बाद ही उनके चरण छूने की अनुमति होती है।
पत्नी के चरण नहीं छूने चाहिए
शास्त्रों में कहा गया है कि पत्नी को अपने पति के चरण छूने चाहिए, लेकिन पति को पत्नी के चरण नहीं छूने चाहिए। ऐसा करने से परिवार पर संकट आ सकता है।
बेटी के चरण नहीं छूने चाहिए
किसी पिता को अपनी बेटियों के चरण नहीं छूने चाहिए। धार्मिक विद्वानों के अनुसार, बेटियाँ देवियों का रूप होती हैं, और ऐसा करने से पिता को पाप लगता है।