बच्चों के लिए सिप्पी कप: स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरनाक प्रभाव
सिप्पी कप का खतरा

नई दिल्ली: बच्चों में सिप्पी कप के उपयोग से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। एक अध्ययन, जो पर्यावरण अनुसंधान और सलाहकार संगठन टॉक्सिक्स लिंक द्वारा किया गया, यह दर्शाता है कि बाजार में उपलब्ध सिप्पी कप बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं।
इन कपों में बिसफिनोल-ए (बीपीए) नामक रसायन का उपयोग किया जा रहा है, जो हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है। इसके कारण लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत की उम्र कम हो रही है, जबकि लड़कों में यौवन का विकास तेजी से हो रहा है।
अध्ययन के निष्कर्ष

टॉक्सिक्स लिंक के वरिष्ठ प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर पीयूष महापात्रा ने बताया कि इस अध्ययन में दिल्ली के विभिन्न बाजारों से 13 सिप्पी कप के नमूने लिए गए थे। इनकी जांच श्रीराम औद्योगिक शोध संस्थान (एसआइआइआर) में की गई। रिपोर्ट में पाया गया कि 13 में से 10 नमूनों में बीपीए मौजूद है, जो कि 77 प्रतिशत है। सिप्पी कप में बीपीए की मात्रा 14.9 पीपीएम तक पहुंच गई है, जो अत्यंत हानिकारक है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इन उत्पादों को बीपीए मुक्त बताकर बेचा जा रहा है। उपभोक्ताओं के लिए यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि कौन सा सिप्पी कप उनके बच्चों के लिए सुरक्षित है।
सरकारी नीतियों की आवश्यकता
टॉक्सिक्स लिंक के सह निदेशक सतीश सिन्हा ने कहा कि कई देशों ने सिप्पी कप के हानिकारक प्रभावों को देखते हुए उन्हें चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया है। भारत में, हालांकि, नवजात बच्चों के दूध की बोतल में निपल के लिए बीपीए का उपयोग प्रतिबंधित है, लेकिन सिप्पी कप के निर्माण में इसका उपयोग जारी है।
सिप्पी कप के उत्पादन और वितरण को विनियमित करने की आवश्यकता है। टॉक्सिक्स लिंक के निदेशक रवि अग्रवाल ने कहा कि उत्पादों में रसायनों के उपयोग को लेकर व्यापक नीति और मानक स्थापित करने की आवश्यकता है।
बिसफिनोल-ए का प्रभाव
बिसफिनोल-ए क्या है?
बिसफिनोल-ए (बीपीए) एक ऐसा रसायन है जो अंतःस्रावी प्रणाली में गड़बड़ी करता है। यह शिशुओं के हार्मोन को प्रभावित करता है और तीन साल तक की लड़कियों के व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। लड़कों में, यह अवसाद और चिंता को बढ़ा सकता है।
गर्भपात का जोखिम
अमेरिकन सोसायटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (एएसआरएम) के अनुसार, जिन महिलाओं के रक्त में बीपीए का स्तर अधिक होता है, उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
व्यवहार पर प्रभाव
एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में 244 माताओं पर किए गए शोध में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान बीपीए के संपर्क में आने से तीन साल की उम्र में लड़कियों के व्यवहार पर प्रभाव पड़ सकता है।