फिल्म 'सेहर': एक अनोखे नायक की कहानी

फिल्म का परिचय
सेहर एक छोटी-बड़ी फिल्म है जो असामान्य नायकों की कहानी बयां करती है। पहली बार निर्देशक बने कबीीर कौशिक ने इस जीवनी पर आधारित फिल्म में पुलिस बल को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिसमें पुलिसकर्मी अजय कुमार (अर्शद वारसी) का संघर्ष दिखाया गया है, जो उत्तर प्रदेश में असंवैधानिक शक्तियों का सामना कर रहा है।
कहानी की पृष्ठभूमि
फिल्म का सूखा वातावरण और सच्चाई को दर्शाने पर जोर इसे हिंदी सिनेमा में एक अनूठा दस्तावेजी नाटक बनाता है। पात्र सभी परिचित हैं: बंदूकधारी अपराधी जो पहले से ही गोविंद निहालानी और राम गोपाल वर्मा की फिल्मों में दिखाए जा चुके हैं।
कहानी की गहराई
सेहर में अच्छाई और बुराई के बीच की पुरानी लड़ाई को दिलचस्प बनाने के लिए निर्देशक ने अपनी कहानी को पूरी मेहनत से पेश किया है। काबीर कौशिक ने 1990 के दशक की शुरुआत में राजनीतिक माफिया के खात्मे की कहानी को प्रस्तुत किया है, जो उस समय की नैतिकता की स्थिति को उजागर करता है।
पात्रों का विकास
फिल्म में कोई भी पात्र विशेष रूप से अनोखा नहीं लगता। कबीीर कौशिक के पात्र अपने वर्तमान से परेशान हैं, और फिल्म में तनाव को पूरी तरह से नहीं दर्शाया गया है। विशेष कार्य बल (STF) के सदस्यों के जीवन की घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
फिल्म की कमी
फिल्म में कुछ दृश्यों की कमी और थकान का अनुभव होता है। एक छोटे बच्चे का अपहरण होता है, लेकिन उसे जल्दी ही बचा लिया जाता है, जिससे कहानी आगे बढ़ती है।
अंतिम निष्कर्ष
सेहर में एक नई सुबह की तलाश है, लेकिन यह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाती। हालांकि, यह एक अच्छी कोशिश है। अर्शद वारसी का प्रदर्शन इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो दर्शकों को बांधे रखता है।