धनतेरस: समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व
धनतेरस का महत्व
हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे खरीदारी के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग सोने, चांदी और बर्तनों की खरीदारी करते हैं। धनतेरस का इंतजार हर साल लोग बेसब्री से करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस क्यों मनाया जाता है? इस लेख में हम आपको इसके पीछे के कारण बताएंगे।
धनतेरस का अर्थ
धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है 'धन का तेरहवां दिन'। यह संस्कृत के दो शब्दों 'धन' और 'तेरस' से मिलकर बना है और यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन मनाया जाता है। यह दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए होती है।
धनतेरस की पौराणिक कहानियाँ
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है और यह दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन है। इस पर्व के पीछे दो प्रमुख पौराणिक कहानियाँ हैं। पहली कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है, जबकि दूसरी एक राजकुमार की है।
समुद्र मंथन की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया, तो भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए। उन्हें चिकित्सा का देवता माना जाता है। उनके प्रकट होने के उपलक्ष्य में धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसी मंथन से देवी लक्ष्मी और अन्य रत्न भी प्रकट हुए थे।
राजकुमार और यमराज की कथा
एक राजा हिमा के पुत्र को एक ज्योतिषी ने बताया कि उसकी मृत्यु विवाह के चौथे दिन सांप के काटने से होगी। उसकी पत्नी ने यमराज से बचने के लिए कमरे के दरवाजे पर सोने-चांदी के गहने और दीपक जलाए। यमराज की आंखें चौंधिया गईं और वे राजकुमार तक नहीं पहुँच सके। इसी घटना के बाद से धनतेरस की शाम को यम दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई।
धनतेरस पर पूजा
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं।
धनतेरस का उत्सव
धनतेरस पर घरों की सफाई की जाती है और लक्ष्मी-गणेश, कुबेर, और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में सोने-चांदी, पीतल के बर्तन, झाड़ू और धनिया जैसी नई चीजें खरीदी जाती हैं। शाम को यमराज के नाम पर चौमुखा दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है।